सामना में आगे लिखा है, "शिंदे ने बैठक के दौरान अपने पुराने वादे को याद दिलाया, जिसमें कहा गया था कि अगर महायुति को बहुमत मिलता है तो वह खुद मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे. शिंदे का तर्क था कि उनके नेतृत्व में ही पार्टी ने बहुमत हासिल किया है, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखा जाए."