राजा ने ब्राह्मण को बुलाया और कहा, "अगर तुम दूसरा कंगन नहीं लाए, तो तुम्हें दंड मिलेगा." ब्राह्मण अब संकट में था. वह घबराया हुआ, सोचने लगा, "अब दूसरा कंगन कहां से लाऊं?" डरते हुए, वह संत रविदास के पास पहुंचा और सारी बात बताई.