जैसे-जैसे योजना आगे बढ़ी, इसमें भयानक गड़बड़ियां सामने आने लगीं. शुरुआत में ED की FIR में तो सिर्फ 2.1 करोड़ रुपये के घोटाले का ज़िक्र था, जो ऊंट के मुंह में ज़ीरा जैसा था. लेकिन, जब भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट पेश की, तो सबके होश उड़ गए.