यह फैसला एक ऐसे मामले के जवाब में आया, जिसमें पंजाब उच्च न्यायालय ने 2010 के एक कानून को रद्द कर दिया था, जिसमें एससी आरक्षण का आधा हिस्सा वाल्मीकि और मज़हबी सिख समुदायों को आवंटित किया गया था.