न केवल एक और चुनावी झटका आदित्यनाथ की स्थिति पर सवाल खड़े करेगा, बल्कि सपा और कांग्रेस को भी लोकसभा चुनावों के बाद खून की गंध आ गई है, और उन्होंने उप चुनावों की देखरेख के लिए मौजूदा सांसदों सहित वरिष्ठ नेताओं को नियुक्त किया है.