उपराष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है, और व्हिप लागू नहीं होता. ऐसे में क्रॉस वोटिंग का खतरा हमेशा रहता है. लेकिन एनडीए कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है. उनकी कोशिश है कि उनके उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन बड़े अंतर से जीत हासिल करें.
जगनमोहन रेड्डी की अपनी मजबूरियां भी हैं. 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में YSRCP को करारी हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में, उनके पास कांग्रेस या इंडिया अलायंस के साथ जाने का कोई रास्ता नहीं. आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के साथ उनकी पुरानी दुश्मनी है, जो उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के समय से चली आ रही है.
राधाकृष्णन के नाम से विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A., खासकर तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. DMK का ओबीसी वोट बैंक, खासकर गाउंडर समुदाय पर मजबूत पकड़ रही है. अगर DMK राधाकृष्णन का विरोध करती है, तो यह उनके अपने वोट बैंक को नाराज करने का जोखिम उठा सकता है.
अगर उम्मीदवार बिहार से हुआ, तो NDA के सहयोगी जैसे जेडीयू और एलजेपी धर्म संकट में फंस सकते हैं. इसी तरह, अगर उम्मीदवार आंध्र प्रदेश से आया, तो टीडीपी और जनसेना के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. यह विपक्ष की ऐसी चाल है, जिससे NDA को अपने कुनबे को एकजुट रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी.