इससे पहले निचली अदालत में भी यह मामला पहुंचा था. वहां NHAI की ओर से एक संशोधन याचिका दाखिल की गई थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया. वक्फ की ओर से इसके खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की गई, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया. आखिरकार, हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि यह जमीन NHAI की है और वक्फ का दावा पूरी तरह से हवा-हवाई है.
भंडारी ने वक्फ बोर्ड के संदर्भ में कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 2013 में वक्फ को इतना सशक्त कर दिया था कि वह गरीबों, किसानों और यहां तक कि सरकारी ज़मीनों को भी वक्फ भूमि के रूप में पहचानने लगे थे.