यह मामला एक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के बाद सामने आया, जिसमें कहा गया था कि यमुना एक्सप्रेसवे के बर्ड सेंचुरी क्षेत्र में बिल्डर्स को कुछ नियमों के तहत विशेष लाभ मिलना चाहिए था. लेकिन, आरोप ये हैं कि कुछ बिल्डर्स को फायदा मिला, जबकि अन्य को नकार दिया गया.