जनता भौंचक टुकुर-टुकर ताक रही है, कभी एक तरफ तो कभी दूसरी ओर. उसे समझ ही नहीं आ रहा है कि आखिर सब नेता, सब पार्टी हमारी ही चिंता कर रहा है तो फिर हमारी दशा इतनी चिंताजनक क्यों?