हिमाचल भवन के बाद अब बीकानेर हाउस की होगी कुर्की…कोर्ट का अहम आदेश, जानिए क्या है पूरा मामला
Bikaner House Seizure: दिल्ली में हाल ही में एक महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय लिया गया है, जिसमें पटियाला हाउस कोर्ट ने बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश दिया है. यह आदेश राजस्थान के नोखा नगर पालिका और एनवायरो इन्फ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच विवाद के बाद आया है. इस विवाद में नगर पालिका पर 50.31 लाख रुपये का बकाया था, जिसे उसने भुगतान नहीं किया, जिसके कारण अदालत ने यह सख्त कदम उठाया है.
क्या है विवाद?
नोखा नगर पालिका और एनवायरो इन्फ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच 2020 में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत नगर पालिका को कंपनी को 50.31 लाख रुपये का भुगतान करना था. हालांकि, नगर पालिका ने उक्त राशि का भुगतान नहीं किया, और इस वजह से कोर्ट ने बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद, नगर पालिका को किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने से रोक दिया गया है जब तक वह भुगतान नहीं करती.
29 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को निर्धारित की है, जहां बीकानेर हाउस की नीलामी से जुड़ी शर्तों और अन्य प्रक्रियाओं पर निर्णय लिया जाएगा. यह मामला अब एक अहम मोड़ पर है, क्योंकि बीकानेर हाउस की बिक्री से संबंधित कई मुद्दों का समाधान होना बाकी है.
हिमाचल भवन की कुर्की का मामला
यह पहला मामला नहीं है जब किसी सरकारी भवन की कुर्की का आदेश दिया गया है. इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश दिया था. हिमाचल सरकार ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी का बकाया नहीं चुकाया था. कंपनी के पास 2009 में एक प्रोजेक्ट के लिए 64 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान था, जिसे सरकार ने बाद में जब्त कर लिया. इसके बाद कंपनी ने आर्बिट्रेशन का सहारा लिया और अदालत ने सरकार को ब्याज सहित पूरा बकाया चुकाने का आदेश दिया. हालांकि, सरकार ने अभी तक यह राशि नहीं चुकाई, और इस कारण हाईकोर्ट ने हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश दिया.
यह भी पढ़ें: मामूली सुधार के बीच दिल्ली-NCR की हवा अब भी जहरीली, ‘गंभीर श्रेणी’ में AQI
सरकार पर बढ़ा दबाव
हिमाचल सरकार अब इस आदेश के खिलाफ अपील कर चुकी है, लेकिन अदालत ने सरकार से बकाए का भुगतान करने की मांग की है. सरकार पर इस समय लगभग 150 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसमें मूल राशि के अलावा ब्याज भी शामिल है. अदालत ने सरकार को यह राशि चुकाने का आदेश दिया है, और अब सरकार को इस पर कोई फैसला लेने में कठिनाई हो सकती है.
दोनों मामलों में यह साफ हो गया है कि सरकारें जब तक कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करतीं, तब तक उन्हें बड़ी कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. बीकानेर हाउस और हिमाचल भवन की कुर्की के आदेश ने यह दिखा दिया है कि अगर बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जाता, तो अदालत सख्त कदम उठा सकती है.