CG News: जांजगीर-चाम्पा में बिहान की महिलाएं बना रही हैं हर्बल राखी, पीएम और सीएम को भी भेजी जाती है

CG News: केले के रेशे, अलसी के रेशे, कमल के डंठल के रेशे, भिंडी के रेशे और अमारी भाजी समेत दूसरे फल-फूल के पौधे के रेशे से किसान स्कूल में 'हर्बल राखी' बनाई जा रही है.
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CG News: जांजगीर-चाम्पा के बहेराडीह गांव में स्थित देश के पहले वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल में बिहान की महिलाओं के द्वारा ‘हर्बल राखी’ बनाई जा रही है, जिसे लोगों के द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है. केले के रेशे, अलसी के रेशे, कमल के डंठल के रेशे, भिंडी के रेशे और अमारी भाजी समेत दूसरे फल-फूल के पौधे के रेशे से किसान स्कूल में ‘हर्बल राखी’ बनाई जा रही है. छत्तीसगढ़ में ऐसा पहला प्रयास है, जहां प्राकृतिक चीजों से राखी बनाई जा रही है और लोगों को प्रकृति से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. बिहान की महिलाओं को हर्बल राखी के ऑर्डर मिलने से उन्हें अच्छी आमदनी भी होती है. सबसे बड़ी बात, इन महिलाओं के द्वारा हर्बल राखी को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कलेक्टर को भेजी जाती है. इस साल भी महिलाओं ने इन्हें हर्बल राखी भेजने की बात कही है.

4-5 साल से बनाई जा रही हर्बल राखी

बहेराडीह गांव में स्थित देश के पहले किसान स्कूल में बिहान की महिलाओं के द्वारा 4-5 साल से ‘हर्बल राखी’ बनाई जा रही है. VISTAAR NEWS संवाददाता प्रकाश साहू को समूह की महिलाओं ने बताया कि इस खास हर्बल राखी की खूब डिमांड है. अफसर, जनप्रतिनिधि समेत दूसरे लोग भी हर्बल राखी लेते हैं और महिलाओं के प्रयास की सराहना भी करते हैं. इस साल भी हर्बल राखी की डिमांड है और जिला पंचायत सीईओ गोकुल रावटे ने भी बिहान की महिलाओं के प्रयास की तारीफ की है और कलेक्टोरेट, जिला पंचायत समेत दूसरी जगह में स्टॉल लगाने की बात कही है.

आपको बता दें कि किसान स्कूल में 18 विषयों में किसानों को जानकारी दी जाती है. खास बात यह है कि किसान स्कूल में जानकारी लेने के लिए या यूं कहें पढ़ाई के लिए ना तो कोई उम्र की बाध्यता है और ना ही शिक्षा की. यहां अंगूठे छाप किसान को भी जानकारी मिलती है. किसान स्कूल संचालित कर रहे किसानों ने इसी ध्येय से किसान स्कूल की शुरुआत की है कि किसानों को हर तरह की जानकारी मिले, अनुभवी किसानों के द्वारा पूरी जानकारी दी जाती है. किसान स्कूल की प्रसिद्धि इसी बात से समझी जा सकती है कि जिले के अलावा बाहर से भी किसान पहुंच रहे हैं और खेती के गुर सीख रहे हैं. किसान स्कूल में एग्रीकल्चर कॉलेज के स्टूडेंट से लेकर दूसरे राज्यों से किसान, जिज्ञासा के साथ पहुंचते हैं और समाधन पाकर काफी खुश होते हैं.

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