Census: सरकार ने दशकीय जनगणना के आयोजन की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन इसमें जाति से संबंधित कॉलम शामिल करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. सूत्रों के अनुसार, जनगणना जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है. भारत में हर 10 साल में जनगणना की जाती है, और इस दशक की जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल 2020 को शुरू होने वाला था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टालना पड़ा.
महिला आरक्षण अधिनियम से जनगणना का संबंध
हाल ही में पारित महिला आरक्षण अधिनियम के कार्यान्वयन का भी जनगणना से सीधा संबंध है. इस कानून के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की जाएंगी, और यह प्रक्रिया जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन के बाद लागू होगी.जाति से संबंधित कॉलम को जनगणना में शामिल करने की मांग राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही है. हालांकि, अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. नए आंकड़ों के अभाव में सरकारी एजेंसियां अब भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नीतियां बना रही हैं और सब्सिडी आवंटित कर रही हैं.
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12 हजार करोड़ खर्च करेगी सरकार
जनगणना के तहत घरों की सूची तैयार करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक पूरे देश में किया जाना था, लेकिन कोविड-19 के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था. अधिकारियों का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया पर सरकार के 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो सकते हैं. इस बार जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी, जिसमें नागरिकों को स्वयं गणना का अवसर मिलेगा. इसके लिए एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया गया है, जिसे अभी लॉन्च नहीं किया गया है. स्व-गणना के दौरान आधार या मोबाइल नंबर की जानकारी अनिवार्य रूप से एकत्र की जाएगी.