Christmas 2025: बाइबिल में उल्लेख तक नहीं, फिर भी ईसाई धर्म में क्यों खास माना जाता है क्रिसमस ट्री?
Christmas 2025: क्रिसमस ट्री की परंपरा यूरोप की प्राचीन लोक-संस्कृतियों से निकली है, जिसे ईसाई धर्म ने अपनाकर यीशु के जन्मदिन से जोड़ दिया. साथ ही ये मसीह की शिक्षाओं का संकेत माना जाता है.
ईसाई धर्म में क्रिसमस का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. भारत के साथ-साथ दुनिया भर में क्रिसमस बेहद मशहूर है. लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि बाइबल में क्रिसमस ट्री का उल्लेख तक नहीं है.
ईसाई धर्म की धार्मिक ग्रंथ बाइबल है. लेकिन बाइबल में कहीं भी क्रिसमस ट्री का उल्लेख तक नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर आखिर ईसाई धर्म में क्रिसमस ट्री इतना खास क्यों माना जाता है?
दरअसल, क्रिसमस ट्री एक सदाबहार पेड़ है और सर्दियों में भी हरा रहता है. इसलिए इसे ईसाई धर्म में विश्वास करके अनंत जीवन और पुनरुत्थान (मृत्यु के बाद पुनः जीवित होने की अवधारणा) से जोड़ा जाता है.
क्रिसमस ट्री की परंपरा यूरोप की प्राचीन लोक-संस्कृतियों से निकली है, जिसे ईसाई धर्म ने अपनाकर यीशु के जन्मदिन से जोड़ दिया. साथ ही ये मसीह की शिक्षाओं का संकेत माना जाता है.
यह प्रथा जर्मनी में 16वीं सदी में विकसित हुई थी. इसमें लगी मोमबत्तियां, सेब और कागज के फूलों को अनंत जीवन और स्वर्ग के प्रतीक माने जाता था. वहीं ये प्रथा महारानी विक्टोरिया के समय में पूरे दुनिया में फैली.
क्रिसमस ट्री पर लगी रौशनी और सितारे में यीशु के आने से पहले फैली अज्ञानता और अंधकार के बाद, यीशु के रूप में आया वह दिव्य प्रकाश जो सत्य और ज्ञान लाता है.
यह बेथलहम के उस खास तारे की याद दिलाता है जिसने ज्योतिषी को यीशु के जन्म स्थान तक पहुंचाया था. साथ ही ये ईसा मसीह के जन्म, खुशी, पाप से मुक्ति, और सामुदायिक एकता का प्रतीक है.
यही कारण है जो बाइबिल में उल्लेख न होने के बावजूद, यह परंपरा सदियों से जर्मन ईसाई परंपराओं से विकसित होकर ईसाई संस्कृति का एक सशक्त प्रतीक बन गई है, जो जीवन, आशा, और मसीह की ज्योति का प्रतिनिधित्व करती है.