किसी का पहला बच्चा तो किसी ने मांगी थी मन्नत, झांसी अग्निकांड में बुझ गए कई घरों के चिराग

Jhansi: झांसी अग्निकांड़ हादसे के बाद से मृत नवजात बच्चों के परिजन अस्पताल परिसर में रोते-बिलखते दिख रहे हैं. किसी के घर पहले बच्चे का जन्म हुआ था तो किसी के घर कई मन्नतों के बाद बच्चा हुआ था, लेकिन इस अग्निकांड में 10 घरों के चिराग को बुझा दिया है.
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अग्निकांड के बाद झांसी मेडिकल कॉलेज के बाहर परिजनों हंगामा कर रहे हैं.

Jhansi: शुक्रवार रात उत्तर प्रदेश के झांसी में हुए भीषण अग्निकांड में 10 नवजात बच्चे जिंदा जल गए. इस हादसे के बाद से मृत नवजात बच्चों के परिजन अस्पताल परिसर में रोते-बिलखते दिख रहे हैं. किसी के घर पहले बच्चे का जन्म हुआ था तो किसी के घर कई मन्नतों के बाद बच्चा हुआ था, लेकिन इस अग्निकांड में 10 घरों के चिराग को बुझा दिया है.

इस अग्निकांड के बाद झांसी मेडिकल कॉलेज के बाहर परिजनों ने हंगामा किया हुआ है. परिजनों का कहना है कि जिस वार्ड में आग लगी थी, उसमें उनके बच्चे एडमिट थे. कई घंटे बीत चुके हैं. लेकिन उन्हें उनके बच्चों के बारे में जानकारी नहीं दी गई. उनको अंदर भी नहीं जाने दिया जा रहा है.

 

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई में शुक्रवार रात 10:30 बजे आग लगी. इस वार्ड में 54 नवजात बच्चे मौजूद थे. आग लगने के बाद बच्चों को खिड़की तोड़ कर बाहर निकाला गया. इस दौरान 10 नवजात जिन्दा जल गए. 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकला गया. हादसे के बाद बच्चों के परिजन परेशान हैं. उनका कहना है- बच्चे शिशु वार्ड में एडमिट थे, जो सुबह 8.30 बजे तक नहीं मिले. ऐसे में परिजन इमरजेंसी के बाहर बैठे हैं.

एक परिजन ने कहा- हम ललितपुर से आए हैं. हमारा पोता यहां भर्ती था. आग लगते ही वार्ड के अंदर गए. देखा तो पोते की मौत हो गई थी. बहुत मन्नतों के बाद घर में बेटे का जन्म हुआ था.

वहीं दूसरे मृत मृत बच्चे के परिजन ने कहा- मेरे बेटे-बहू का बेटा हुआ था. वह वार्ड में भर्ती था. हम दवा लेने गए थे. तभी आग लग गई. हम उसे उठा नहीं पाए. सभी लोग चिल्लाने लगे-आग लग गई, आग लग गई. हम अंदर नहीं जा पाए. हमारा बच्चा हमें नहीं मिल पाया है. डॉक्टर अंदर नहीं जाने दे रहे हैं.

रोते-बिलखते एक बदहवास दंपती ने कहा- 9 तारीख से मेरा बच्चा भर्ती था, डॉक्टर की कमी से मेरे बच्चे की मौत हो गई. मेरा बच्चा यहीं जन्मा, जिसे ऑक्सीजन पर रखा गया था. मेरा बच्चा नहीं मिला। कम से कम 50 बच्चे अंदर वार्ड में भर्ती थे.

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परिजन ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर भाग गए थे. अगर ऐसा नहीं होता तो डॉक्टर या नर्स भी मरने चाहिए थे. 10-12 बच्चे हमें खुद जले हुए दिखे. हम तो अस्पताल के ही बाहर थे, धुआं देखकर आग का पता चला.

आक्रोशित परिजन ने बताया कि मेरा बेटा 7-8 घंटे से गायब है. अभी तक कोई अधिकारी मदद के नाम पर मिलने नहीं आया है. हादसे के वक्त वार्ड में करीब 50 बच्चे थे. जब आग लगी तो जिनके बच्चे थे उन्होंने ही भीतर घुसकर बच्चों को बचाया.

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