Mukhtar Ansari: फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका, कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा
Mukhtar Ansari News: लोकसभा चुनाव से पहले माफिया मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा है. मुख्तार को करीब 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले बुधवार, 13 मार्च को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. बता दें कि बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा अंतरराज्यीय गिरोह(IES-191) का सरगना और माफिया मुख्तार को यह आठवीं बार सजा हुई है. विशेष न्यायाधीश(MP-MLA) अवनीश गौतम की अदालत ने यह सजा सुनाई है. सुनवाई के दौरान मुख्तार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बांदा जेल से जुड़ा रहा. बताते चलें कि इसी अदालत ने ही 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
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— Vistaar News (@VistaarNews) March 13, 2024
साल 1987 का है यह मामला
बता दें कि यह मामला साल 1987 का है. अभियोजन पक्ष के मुताबिक, माफिया मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी के ऑफिस में प्रार्थना पत्र दिया. इसके बाद आरोप लगा कि गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया. फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई.
जालसाजी का पाया गया दोषी
विशेष न्यायाधीश(MP-MLA) अवनीश गौतम की कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, 467 यानी बहुमूल्य सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी और 468 यानी ठगी के मकसद से जालसाजी का दोषी पाया गया. इसके बाद उसे कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई. भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं के तहत आरोपी को अधिकतम दस साल तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा माफिया मुख्तार अंसारी को आयुध अधिनियम की धारा 30 के तहत भी दोषी पाया गया है. धारा 30 के तहत आरोपी को अधिकतम छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है.