प्रयागराज महाकुंभ 2025… धर्म, समाज और राजनीति का अद्भुत संगम
Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला, जहां हर 12 साल में लाखों लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान करने आते हैं, अब केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं रह गया है. यह आयोजन अब भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में बदल चुका है. अगले साल, यानी 2025 में होने वाला महाकुंभ मेला न केवल एक धार्मिक मेला होगा, बल्कि इस बार यह राजनीति और हिंदुत्व के एजेंडे को भी मजबूती से पेश करने का एक बड़ा मंच बनेगा.
हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो 12 वर्षों में एक बार प्रयागराज में आयोजित होता है. इसे पवित्र स्नान, साधना और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. लाखों श्रद्धालु यहां आकर अपने पापों से मुक्ति पाने की इच्छा से स्नान करते हैं. इस दौरान भक्तगण अपनी धार्मिक आस्थाओं को व्यक्त करते हुए समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी विचार-विमर्श करते हैं.
लेकिन समय के साथ, महाकुंभ मेला केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं रहा. यह एक विशाल सामाजिक और राजनीतिक मंच भी बन गया है, जहां परंपराओं, सांस्कृतिक बहसों और राजनीतिक रणनीतियों का भी आदान-प्रदान होता है. खासकर इसमें RSS और VHP जैसे संगठनों का अहम योगदान है.
महाकुंभ में ‘राजनीतिक’ स्नान
प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ 2025 सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति को भी एक नई दिशा दे सकता है. राजनीति और धर्म को जानने वालों के मुताबिक, RSS और VHP जैसे संगठन इस बार महाकुंभ में हिंदुत्व के एजेंडे को और अधिक जोरदार तरीके से प्रस्तुत करेंगे. उनके लिए यह एक बेहतरीन मौका होगा, ताकि वे अपनी विचारधारा को प्रसारित कर सकें और भारतीय समाज में अपने प्रभाव को और भी मजबूत बना सकें. इस बार महाकुंभ में चर्चा के लिए कई मुद्दे होंगे.
बांगलादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न
बांगलादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते हमलों और अत्याचारों को लेकर कई संत और धार्मिक नेता इस मुद्दे को उठाने का विचार कर रहे हैं. उनका कहना है कि भारत सरकार को बांगलादेश में हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए अधिक सक्रिय होना चाहिए. इस मुद्दे को महाकुंभ के मंच पर प्रमुखता से उठाया जा सकता है.
धर्मांतरण की समस्या
भारतीय समाज में धार्मिक रूपांतरण की समस्या एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, खासकर हिंदू धर्म के संदर्भ में. RSS और VHP का मानना है कि यह हिंदू समाज के लिए एक बड़ा खतरा है, और इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है. महाकुंभ में इस पर खुलकर चर्चा हो सकती है.
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समान नागरिक संहिता पर चर्चा
समान नागरिक संहिता (UCC) का मुद्दा भी महाकुंभ के मंच पर जोर पकड़ सकता है. RSS और VHP का मानना है कि एक समान नागरिक संहिता भारतीय समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए जरूरी है. इस पर गहरी चर्चा हो सकती है और शायद इसे सरकार के एजेंडे में लाने के लिए प्रस्ताव भी रखा जा सकता है.
मंदिर- मस्जिद विवाद
राम मंदिर के निर्माण के बाद, अब मथुरा और काशी जैसे अन्य धार्मिक स्थलों का मुद्दा भी उभर सकता है. RSS और VHP के नेतृत्व में महाकुंभ में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है कि कैसे अन्य विवादित धार्मिक स्थलों पर भी न्याय मिल सकता है और इन स्थानों को धर्म की रक्षा के रूप में पुनर्निर्मित किया जा सकता है.
महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक आयोजनों का केंद्र है, बल्कि यह RSS और VHP जैसे संगठनों के लिए भारतीय राजनीति में अपनी धारा को मजबूत करने का अवसर भी है. ये संगठन अपने कार्यों और विचारधारा के माध्यम से भारतीय समाज को एक नए दिशा में मोड़ने का प्रयास करते हैं, और महाकुंभ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.
2013 महाकुंभ से निकला था बीजेपी की जीत का मंत्र!
2013 का महाकुंभ मेला बीजेपी के लिए एक चुनावी अवसर बन गया था. उस समय RSS और VHP ने हिंदुत्व के एजेंडे को जोरदार तरीके से पेश किया था, जिसका असर 2014 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिला. महाकुंभ के दौरान धार्मिक नेताओं ने बीजेपी के पक्ष में समर्थन दिया था और यह रणनीति बीजेपी की चुनावी सफलता में अहम भूमिका निभाई थी.
2025 का महाकुंभ बीजेपी के लिए एक अवसर हो सकता है, क्योंकि यह 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद हो रहा है. हालांकि बीजेपी ने चुनाव में सफलता प्राप्त की है, लेकिन पार्टी की उम्मीदों के मुताबिक उसका प्रदर्शन नहीं था. ऐसे में RSS और VHP इस महाकुंभ को एक मंच के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि वे पार्टी की आगामी चुनावी रणनीतियों को आकार दे सकें. युवा संतों, महिलाओं और समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं.
‘सनातन बोर्ड’ का प्रस्ताव
महाकुंभ 2025 में एक और महत्वपूर्ण चर्चा का विषय ‘सनातन बोर्ड’ का प्रस्ताव हो सकता है. संतों का मानना है कि यदि सरकार एक ऐसा बोर्ड स्थापित करती है, तो इससे सनातन धर्म की रक्षा और प्रसार में मदद मिल सकती है. यह बोर्ड धार्मिक मामलों में एक संरचित ढांचे को प्रस्तुत करेगा और सनातन धर्म के अनुयायियों के अधिकारों की रक्षा करेगा.
युवा पीढ़ी और महिला संतों की भागीदारी
महाकुंभ 2025 में विशेष ध्यान युवा संतों और महिला संतों की भागीदारी पर दिया जाएगा. RSS और VHP का उद्देश्य युवा पीढ़ी को हिंदू धर्म से जोड़ना और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक करना है. इसके लिए कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि नई पीढ़ी को धर्म, संस्कार और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का अहसास हो सके.