नजूल भूमि को लेकर मुश्किल में योगी सरकार! खुद बीजेपी विधायकों ने उठाए सवाल, विधान परिषद में अटका विधेयक
Nazul Law: लीज खत्म होने के बाद नजूल की जमीन सरकार को वापस करनी होगी. योगी सरकार ने कड़े विरोध के बीच विधानसभा में उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक 2024 पारित करा लिया, लेकिन अब विधान परिषद में यह अटक गया है. इस विधेयक को विधानसभा से पारित कराने में सरकार को न सिर्फ विपक्ष बल्कि अपने विधायकों और सहयोगियों के विरोध का भी सामना करना पड़ा. इस विधेयक के मुताबिक यूपी सरकार अब नजूल की जमीन को लीज पर नहीं देगी.
लीज खत्म होने के बाद पट्टेधारकों को बेदखल कर दिया जाएगा और नजूल की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा. यूपी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक-2024 को विधानसभा में पारित कराने के बाद योगी सरकार ने इसे विधान परिषद से भी पारित कराने की तैयारी की थी. लेकिन विधान परिषद में मामला अटक गया है.
प्रवर समिति के पास भेजा गया विधेयक
दरअसल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की. उसके बाद विधान परिषद के सभी सदस्यों ने इसे प्रवर समिति को भेजने का फैसला ले लिया. अब विधानसभा से पास नजूल विधेयक पर दो महीने के बाद प्रवर समिति जब अपनी रिपोर्ट सौंपेगी तो उसके बाद ही इसपर कोई फैसला होगा. तब तक के लिए मामला ठंडे बस्ते में चला गया है.
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सरकार के करीबी विधायकों ने किया विरोध
बता दें कि इससे पहले यूपी सदन में उस समय अजीबोगरीब स्थिति सामने आई जब सरकार ने सदन में उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक-2024 पेश किया. सरकार के करीबी माने जाने वाले बीजेपी विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी, सिद्धार्थ नाथ सिंह और सपा के साथ-साथ लोकतांत्रिक जनसत्ता दल के राजा भैया विधायक विधेयक का विरोध करते नजर आए.
हर्षवर्धन वाजपेयी ने कहा कि मोदी सरकार लोगों को आवास मुहैया करा रही है और आप लोगों को बेघर करने का कानून बनाने जा रहे हैं. आप अधिकारियों के झूठे फीडबैक को सच मानकर लोगों के घर उजाड़ने जा रहे हैं! हर्षवर्धन यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि आप लोगों को वहां से हटाने के लिए कानून बना रहे हैं जहां वे सौ साल से रह रहे हैं.
बाजपेयी ने कहा, “मैं एक गृहिणी से मिला, जिसका घर मुश्किल से सौ गज (100 गज) क्षेत्र में स्थित है. उसने कहा, सरकार को इस सौ गज जमीन से क्या मिलेगा. हमारा शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि लोगों के संपत्ति अधिकार स्पष्ट होने चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने भी संपत्ति अधिकार और बौद्धिक संपदा अधिकारों में स्पष्टता लाने के लिए कानून लाने की कई बार बात की है.”