Election Result: राम मंदिर निर्माण के बावजूद अयोध्या में कैसे हारी बीजेपी? काम कर गया अखिलेश यादव का ये प्रयोग!

Election Result: भाजपा के साथ-साथ लोगों के मन भी सवाल उठ रहे हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माम के बाद भी पार्टी को फैजाबाद लोकसभा में क्यों हार का सामना करना पड़ रहा है.
Lok Sabha Election 2024

अयोध्या में रोड शो के दौरान पीएम मोदी

Lok Sabha Election 2024 Result: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका लगा है, वो कई प्रमुख सीटों पर चुनाव हार रही है. उनमें फैजाबाद सीट भी शामिल है. बता दें कि फैजाबाद सीट में ही अयोध्या नगरी आती है, जहां भगवान राम का भव्य राम मंदिर बनने के बाद माना जा रहा था कि ये सीट भाजपा के लिए बहुत आसान है, लेकिन आज आए परिणामों में ये सीट सबसे चौंकाने वाली रही. सपा के अवधेश प्रसाद 54 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं. उन्होंने कई राउंड में भाजपा के प्रत्याशी लल्लू सिंह को पछाड़ दिया.

भाजपा के साथ-साथ लोगों के मन भी सवाल उठ रहे हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माम के बाद भी पार्टी को फैजाबाद लोकसभा में क्यों हार का सामना करना पड़ रहा है. आइए समझते हैं कि भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली फैजाबाद में समाजवादी पार्टी ने कैसे लल्लू सिंह को मात देने जा रही है.

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अखिलेश यादव ने खेला दलित कार्ड

अयोध्या सीट पर इस बार अखिलेश यादव ने नया प्रयोग किया और सामान्य सीट होने के बावजूद अखिलेश यादव ने अयोध्या की सबसे बड़ी दलित आबादी वाली पासी बिरादरी से अपने सबसे मजबूत पासी चेहरे को उम्मीदवार बना दिया. अवधेश पासी छह बार के विधायक मंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से रहे हैं. संख्या के लिहाज से अयोध्या की सबसे बड़ी जाति पासी बिरादरी मानी जाती है.

लल्लू सिंह ने विपक्ष को दिया संविधान बदलने का मुद्दा

बीजेपी ने यहां लल्लू सिंह को तीसरी बार मौका दिया, वो दो बार से लगातार यहां के सांसद हैं. ये वही लल्लू सिंह है जिन्होंने पूरे विपक्ष को संविधान बदलने का मुद्दा थमा दिया था. लल्लू सिंह ने ही कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है.

अखिलेश के सियासी जाल में फंसी बीजेपी

फैजाबाद में सपा के दलित चेहरा उतारने से एक नारा चल पड़ा, ‘अयोध्या में न मथुरा न काशी, सिर्फ अवधेश पासी.’ माना जा रहा है कि दलित उम्मीदवार के पीछे न सिर्फ दलित जातियां बल्कि कुर्मी जैसी ओबीसी जातियां भी गोलबंद हो गईं. राम मंदिर निर्माण के बावजूद अखिलेश ने फैजाबाद में ऐसी बिसात बिछाई, जिसने यहां बीजेपी को पीछे छोड़ दिया.

अलग-अलग पार्टियों पर जनता ने भरोसा जताया

बता दें कि हिंदुत्व की राजनीति का केंद्र होने के बावजूद, यह शहर भाजपा का गढ़ नहीं रहा है, यहां से विभिन्न दलों के नेता चुनाव जीत चुके हैं. 1991 से यहां विधानसभा चुनाव नतीजों में बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन फैजाबाद लोकसभा सीट पर उत्तर प्रदेश की तीनों बड़ी पार्टियां बीजेपी, एसपी और कांग्रेस अलग-अलग चुनावों में अपनी जीत दर्ज कर चुकी हैं.

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