UCC Bill: ‘आदिवासियों को छूट तो मुसलमानों को धार्मिक आजादी क्यों नहीं…’, अरशद मदनी ने कहा- शरीयत के खिलाफ कोई कानून स्वीकार्य नहीं

Jamiat Against UCC: मौलाना अरशद मदनी ने यूसीसी में अनुसूचित जनजाति को छूट दिए जाने पर बड़ा सवाल उठाया है.
Jamiat Against UCC

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी

UCC Bill: उत्तराखंड विधानसभा में 6 फरवरी को समान नागरिक संहिता यानी कि यूनिफॉर्म सिविल कोड(यूसीसी) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से पेश किया गया. इसके बाद विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया. जहां एक ओर उत्तराखंड विधानसभा में इस बिल पर चर्चा जारी है, वहीं इस बिल को लेकर पूरे देश में बयानबाजी तेज होती जा रही है. कई बीजेपी राज्यों में इसे लागू करने की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है. इसको लेकर मुस्लिम समुदाय‌ के भारत में सबसे पुराने संगठनों में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद बड़ा बयान दिया है.

‘मुस्लिम समुदाय को क्यों नहीं मिल सकती छूट?’

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को भेदभावपूर्ण बताया है. उन्होंने विधेयक में मुसलमानों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को ऐसा भी कोई कानून स्वीकार्य नहीं है, जो शरीयत के खिलाफ होगा. मौलाना अरशद मदनी ने अनुसूचित जनजाति को छूट दिए जाने पर भी बड़ा सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि अगर अनुसूचित जनजाति को इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा जा सकता है, तो फिर मुस्लिम समुदाय को इस बिल में छूट क्यों नहीं मिल सकती.

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‘समान नागरिक संहिता मौलिक अधिकारों को नकारती है’

मौलाना मदनी ने कहा, ‘हमें ऐसा कोई भी कानून स्वीकार्य नहीं है, जो शरीयत के खिलाफ होगा. सच तो यह है कि किसी भी धर्म को मानने वाला अपने धार्मिक कार्यों में किसी भी प्रकार का अनुचित हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता है.’ उन्होंने तर्क दिया कि अगर संविधान के एक अनुच्छेद के तहत अनुसूचित जनजातियों को इस कानून के दायरे से अलग रखा जा सकता है, तो हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25-26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता क्यों नहीं दी जा सकती है. उन्होंने दावा किया, ‘समान नागरिक संहिता नागरिकों के मौलिक अधिकारों को नकारती है, अगर यह समान नागरिक संहिता है, तो फिर नागरिकों के बीच ऐसा भेदभाव क्यों?’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी कानूनी टीम विधेयक के सभी कानूनी पहलुओं की समीक्षा करेगी, जिसके बाद कानूनी प्रक्रिया के लिए फैसला लिया जाएगा.’

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