Nepal Gen-Z Protest: 2 मिलेनियल्स की अगुवाई में लाखों Gen-Z ने भरी हुंकार, नेपाल में सत्ता का हो गया तख्तापलट

Nepal Gen-Z Protest: Gen-Z आंदोलन की चिंगारी दो मिलेनियल्स ने भड़काई. जिनका नाम काठमांडू के मेयर बालेन शाह और सुदन गुरुंग है. इन्होंने ही इस आंदोलन को हवा दी, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को इस्तीफा देना पड़ा.
Balen Shah and Sudan Gurung

बालेन शाह और सूदन गुरुंग

Nepal Gen-Z Protest: नेपाल में 7 सितंबर से शुरू हुआ Gen-Z आंदोलन इतना उग्र हो गया कि प्रधानमंत्री ओर राष्ट्रपति को अपने पद से इस्जितीफआ देना पड़ा. इस आंदोलन की शुरुआत सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ गुस्से से हुई. जिसने देश की सत्ता को हिलाकर रख दिया. इस आंदोलन की चिंगारी दो मिलेनियल्स ने भड़काई. जिनका नाम काठमांडू के मेयर बालेन शाह और सुदन गुरुंग है. इन्होंने ही इस आंदोलन को हवा दी, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को इस्तीफा देना पड़ा. लाखों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर भ्रष्टाचार, ‘नेपो किड्स’ की संस्कृति और आर्थिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई. यह आंदोलन नेपाल के इतिहास में एक ऐतिहासक बदलाव का प्रतीक बन गया है.

Gen-Z आंदोलन की शुरुआत

4 सितंबर को नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि ये प्लेटफॉर्म्स नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्टर नहीं थे. सरकार ने इसे फर्जी खबरें, घृणा भाषण और ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने का कदम बताया, लेकिन Gen-Z ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना. जिसके बादसोशल मीडिया पर #NepoKids और #PoliticiansNepoBabyNepal जैसे हैशटैग्स ने नेताओं और उनके बच्चों की शानदार जीवनशैली को उजागर किया, जो आम जनता की आर्थिक तंगी के विपरीत थी. यह अभियान भ्रष्टाचार और विशेषाधिकार के खिलाफ गुस्से का प्रतीक बन गया.

बालेन शाह अब Gen-Z का नायक

35 वर्षीय काठमांडू मेयर बालेन शाह, जिन्हें ‘बालेन’ के नाम से जाना जाता है, उन्होंने अपनी स्वतंत्र छवि और भ्रष्टाचार विरोधी रुख से Gen-Z के बीच जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की. 2022 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मेयर का चुनाव जीतने वाले बालेन ने सड़कों की सफाई, पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित फुटपाथ, और सरकारी स्कूलों की निगरानी जैसे सुधार किए.

उन्होंने फेसबुक पर Gen-Z आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया, लेकिन आयु सीमा (28 वर्ष से कम) के कारण प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की अपील की, यह कहते हुए कि ‘राष्ट्रीय संसाधनों का नुकसान हमारा अपना नुकसान है.’

सुदन गुरुंग ने भी निभाई अहम भूमिका

36 वर्षीय सुदन गुरुंग, हामी नेपाल के अध्यक्ष हैं. जो इस आंदोलन के प्रमुख आयोजक बने. 2015 के भूकंप के बाद स्थापित उनकी युवा-नेतृत्व वाली NGO ने आपदा राहत से लेकर सामाजिक आंदोलनों तक का सफर तय किया. गुरुंग, जो पहले इवेंट मैनेजमेंट और नाइटक्लब व्यवसाय से जुड़े थे, उन्होंने भूकंप में अपने बच्चे को खोने के बाद सामाजिक कार्य शुरू किया.

हामी नेपाल ने इंस्टाग्राम और डिस्कॉर्ड के जरिए 8 सितंबर को मैतीघर मंडला में प्रदर्शन का आह्वान किया, जिसमें छात्रों से स्कूल यूनिफॉर्म और किताबें लेकर शांतिपूर्ण प्रतिरोध का प्रतीक बनने को कहा गया.

सड़कों पर Gen-Z का ऐतिहासिक प्रदर्शन

8 सितंबर को काठमांडू के मैतीघर मंडला में हजारों युवा, जिनमें स्कूल-कॉलेज के छात्र शामिल थे, ‘इनफ इज इनफ’ और ‘एंड टू करप्शन’ जैसे नारे लगाते हुए सड़कों पर उतरे. प्रदर्शनकारी संसद भवन तक पहुंचे, पुलिस बैरिकेड्स तोड़े, और भ्रष्टाचार के प्रतीक माने जाने वाले सिंहदरबार और संसद भवन को आग के हवाले कर दिया.

प्रदर्शनकारियों ने ‘नेपो किड्स’ और नेताओं के खिलाफ नारेबाजी की, जिसमें प्रधानमंत्री ओली और अन्य नेताओं को देश छोड़ने की मांग शामिल थी.

हिंसा और हताहत: पुलिस की बर्बरता

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछार, रबर बुलेट्स, और लाइव गोला-बारूद का इस्तेमाल किया, जिसमें कम से कम 24 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए हैं. काठमांडू में 22 और इतहारी में 2 लोगों की मौत हुई.

राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद ने पुष्टि की कि सुरक्षा बलों ने अत्यधिक बल का उपयोग किया, और कुछ मामलों में अस्पतालों में भी आंसू गैस के गोले दागे गए. गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया.

ओली और पौडेल का इस्तीफा

9 सितंबर को बढ़ते दबाव के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया और शिवपुरी में सेना बैरक में शरण ली. राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने भी उसी दिन पद छोड़ दिया.

प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ और झलनाथ खनाल के घरों पर हमला किया, जिसमें खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार की मौत हो गई. विदेश मंत्री अर्जु राणा देउबा को भी भीड़ ने निशाना बनाया.

सोशल मीडिया बैन हटा

8 सितंबर की रात को सरकार ने सोशल मीडिया बैन हटा लिया, लेकिन प्रदर्शनकारी इससे संतुष्ट नहीं हुए. सुदन गुरुंग ने कहा- ‘यह सरकार ने हमारे भाइयों-बहनों को मारा है, इसे बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.’

प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्ट नेताओं पर आपराधिक जांच और जवाबदेही की मांग की, जिसके चलते मंगलवार को भी प्रदर्शन जारी रहे.

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इधर, नेपाल की अर्थव्यवस्था, जो रेमिटांस और पर्यटन पर निर्भर है, इस बैन और अशांति से प्रभावित हुई. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल की 82% कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में है, और 15-29 आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 19.2% है, जो युवाओं की नाराजगी को दर्शाता है.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

भारत के विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को नेपाल की यात्रा स्थगित करने और वहां मौजूद लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है. वहीं, यूएन ने नेपाल समन्वयक ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और अमेरिका जैसे देशों ने हिंसा की निंदा की और शांतिपूर्ण समाधान की मांग की है.

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