Elon Musk का एक ‘झूठ’ पड़ सकता है भारी, ट्रंप ने यू हीं नहीं दे डाली ‘डिपोर्ट’ करने की धमकी
डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क
Elon Musk vs Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और टेस्ला सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) के बीच जुबानी जंग जारी है. यूएस प्रेसिडेंट ने मस्क को यहां तक कह दिया है कि उनको अमेरिका भी छोड़ना पड़ सकता है. कुछ दिनों पहले तक एक-दूसरे के बेहद करीबी माने जाने वाले मस्क और ट्रंप के बीच बिग ब्यूटीफुल बिल को लेकर बयानबाजी तेज हुई थी. हालांकि, 2-3 दिनों तक चले आरोप-प्रत्यारोपों के बाद ये मामला ठंडा होने लगा था. लेकिन, एक बार फिर मस्क ने ट्रंप को चेतावनी दे डाली कि अगर बिग ब्यूटीफुल बिल लाया गया तो वे नई राजनीतिक पार्टी बना लेंगे. मस्क के इस बयान पर ट्रंप ने जोरदार पलटवार किया और टेस्ला सीईओ को डिपोर्ट करने तक की बात कह दी.
इसके बाद से इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि लंबे वक्त से अमेरिका में एक नागरिक के तौर पर रह रहे मस्क को साउथ अफ्रीका डिपोर्ट किया जाएगा? और अगर ऐसा होता है तो आखिर मस्क ने क्या गलती कर दी, जिसके बाद उन पर डिपोर्ट किए जाने का खतरा मंडराने लगा है.
बिग ब्यूटीफुल बिल को लेकर मस्क ने ट्रंप के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसको लेकर मस्क ने पहले भी ट्रंप पर तीखे हमले बोले थे, जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने मस्क को पागल तक करार दे दिया था. कुछ दिनों बाद मस्क-ट्रंप के बीच जुबानी जंग थम गई और फिर शांति का माहौल नजर आने लगा. लेकिन एक दिन पहले ही अचानक मस्क ने फिर बिग ब्यूटीफुल बिल को लेकर ट्रंप को चेतावनी दे डाली, जिसके बाद अब ये मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
क्या थी मस्क की गलती?
मूल रूप से साउथ अफ्रीका के रहने वाले एलन मस्क युवावस्था में ही कनाडा चले थे. उन्हें 1989 में कनाडा की नागरिकता मिली थी और फिर 1992 में पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए. लेकिन, पढ़ाई के बजाय मस्क ने अमेरिका में अपनी कंपनी शुरू कर दी. चूंकि, स्टूडेंट वीजा पर आने वालों को काम करने की सख्त शर्तों को मानना होता है और मस्क ने अपनी पहली कंपनी Zip2 पर काम करना शुरू कर दिया. अमेरिका के वीजा नियमों के मुताबिक यह शर्तों का उल्लंघन था.
मस्क ने मानी थी ‘भूल’!
एलन मस्क को 1997 में H-1B वीजा मिला था, जो उन्हें Zip2 में काम करने की इजाजत देता था. मस्क 2002 में नेचुरलाइजेशन की प्रक्रिया से अमेरिकी नागरिक बने. यह वो प्रक्रिया है जिसमें ग्रीन कार्डधारक को कई वर्षों तक अमेरिका में रहना और नागरिकता को लेकर परीक्षा देना होता है. साथ ही यह साबित करना होता है कि अमेरिका में रहने के दौरान वह किसी संदिग्ध या आपराधिक गतिविधि में संलिप्त नहीं रहा है.
वीजा शर्तों के उल्लंघन पर खुद एलन मस्क ने भी 2005 में एक मानहानि मुकदमे में यह माना था कि उनके पास स्टैनफोर्ड में आवेदन के लिए अमेरिका में रहने का अधिकार था, इसके अलावा अन्य कोई वाजिब कानूनी आधार नहीं था. अब ये स्थिति मस्क के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.
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डिपोर्ट किए जाने का खतरा
दरअसल, मस्क ने नेचुरलाइजेशन के तहत नागरिकता हासिल की थी और इसे अमेरिकी कानून के तहत रद्द करने का प्रावधान है. हालांकि, इसमें सरकार को यह साबित करना होगा कि मस्क ने तथ्यों को छिपाया था. सरकार अगर ये साबित करने में कामयाब हो गई तो मस्क की अमेरिकी नागरिकता रद्द हो जाएगी. ऐसे में उनको कनाडा डिपोर्ट किया जा सकता है. ट्रंप जिस तरह से डिपोर्ट करने की धमकी दे रहे हैं, ऐसा लगता है कि मस्क की इस ‘चूक’ की भनक उन्हें भी है और अब वे इसे मस्क के खिलाफ बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के मूड में हैं.