Nepal Gen-Z Protest: सोशल मीडिया बैन पर सुलग उठा नेपाल, अब तक 22 प्रदर्शनकारियों की मौत, गृह मंत्री ने पीएम को सौंपा इस्तीफा

नेपाल सरकार के सोशल मीडिया पर बैन के विरोध में 7 सितंबर, सोमवार को 12 हजार से ज्यादा Gen-Z नेपाल की संसद में भवन में घुस गए. इस प्रदर्शन में 18 से 30 साल के युवा शामिल रहे.
Nepal Gen-Z Protest

नेपाल में युवाओं का उग्र प्रदर्शन

Nepal Gen-Z Protest: नेपाल में सुबह से जारी उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया को फिर से शुरू करने पर विचार किया जा रहा है. नेपाल में फेसबुक-व्हाट्सएप समेत 26 एप्स बैन किए जाने के बाद Gen-Z सड़कों पर उतर आए. प्रदर्शनकारी संसद भवन में भी दाखिल हो गए, जिसके बाद उनको काबू में करने के लिए पहले आंसू गैस के गोले और फिर फायरिंग भी की गई, जिसमें 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 250 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए हैं.

सोशल मीडिया बैन पर विरोध प्रदर्शन

नेपाल सरकार के सोशल मीडिया पर बैन के विरोध में सोमवार को Gen-Z नेपाल की संसद में भवन में घुस गए. इस प्रदर्शन में 18 से 30 साल के युवा शामिल रहे. जानकारी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने संसद के गेट नंबर 1 और गेट नंबर 2 पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद संसद भवन, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, पीएम आवास के पास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया.

गृहमंत्री ने पीएम केपी ओली को सौंपा इस्तीफा

प्रदर्शन के बीच नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा को सौंप दिया है. उन्होंने नैतिकता का हवाला देते हुए त्यागपत्र दिया है. प्रदर्शनकारी पीएम के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. सरकार में मौजूदा मंत्रियों के आवास की सुरक्षा बढ़ा दी है.

22 की मौत, 200 घायल

बेकाबू प्रदर्शनकारियों द्वारा संसद और आस-पास के इलाकों में तोड़फोड़ करने पर काठमांडू प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को गोली से मारने का आदेश दे दिए. इस आदेश के बाद सेना ने कई राउंड फायरिंग की, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई है. इसके साथ ही अब तक 250 लोगों के घायल होने की खबर है.

3 सितंबर को किया था बैन

नेपाल सरकार ने 3 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और स्‍नैपचैट समेत 26 सोशल मीडिया ऐप पर बैन लगाने का फैसला किया था. जानकारी के अनुसार, इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था. नेपाल सरकार ने 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 7 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया था.

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साइबर क्राइम के लिए इस्तेमाल हो रहे ऐप

सरकार ने तर्क देते हुए कहा था कि रजिस्ट्रेशन के बिना ये प्लेटफॉर्म लंबे समय से देश में फेक ID, हेट स्पीच, साइबर क्राइम और गलत सूचनाएं फैलाने के लिए इस्तेमाल हो रहे थे. तय समय सीमा में प्लेटफॉर्म के द्वारा रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया जिसके कारण सरकार ने 4 सितंबर को 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया था. इसमें व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब जैसे बड़े प्लेटफॉर्म शामिल है. वहीं टिक टॉक, वाइबर जैसे प्लेटफॉर्म पर बैन नहीं लगा गया था क्योंकि उन्होंने समय पर रजिस्ट्रेशन करा लिया था. 

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