‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की दिशा में कदम बढ़ा रही मोदी सरकार! क्या एक साथ होंगे सभी चुनाव?

इस प्रस्ताव का लक्ष्य है कि देशभर में लोकसभा, राज्य विधानसभाएं, नगरपालिकाएं और पंचायत चुनाव सभी एक ही समय पर आयोजित किए जाएं. इससे चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित और कम खर्चीला बनाया जा सकता है. यदि यह योजना साकार होती है, तो चुनावी मतदाता लिस्ट, प्रचार, और मतदान की प्रक्रिया में एक नई सुव्यवस्थितता आ सकती है.
One Nation One Election

प्रतीकात्मक तस्वीर

One Nation One Election: पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी और एनडीए सरकार एक महत्वाकांक्षी राजनीतिक सुधार की ओर बढ़ सकती है. सूत्रों के मुताबिक, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की योजना को इस कार्यकाल में लागू करने की तैयारी की जा रही है. इस प्रस्ताव का उद्देश्य पूरे देश में राष्ट्रीय और राज्य चुनावों को एक ही समय पर आयोजित करना है. सूत्रों ने बताया कि राजग को भरोसा है कि इस सुधार को लेकर सभी दलों का समर्थन मिलेगा.

सभी चुनाव एक साथ

इस प्रस्ताव का लक्ष्य है कि देशभर में लोकसभा, राज्य विधानसभाएं, नगरपालिकाएं और पंचायत चुनाव सभी एक ही समय पर आयोजित किए जाएं. इससे चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित और कम खर्चीला बनाया जा सकता है. यदि यह योजना साकार होती है, तो चुनावी मतदाता लिस्ट, प्रचार, और मतदान की प्रक्रिया में एक नई सुव्यवस्थितता आ सकती है.

मोदी सरकार का आत्मविश्वास और योजना

सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे करने के बाद इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए गंभीरता से योजना बनाई है. पीटीआई के अनुसार, सरकार में इस प्रस्ताव के सफल कार्यान्वयन को लेकर आश्वस्तता है. एक अनाम सूत्र ने कहा कि यह योजना इस कार्यकाल में लागू हो सकती है और इसे वास्तविकता का रूप देने की संभावना जताई गई है.

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उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट

इस प्रस्ताव के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम तब उठाया गया जब एक उच्चस्तरीय समिति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक 18,626 पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस रिपोर्ट में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में विभिन्न राजनीतिक दलों, समाज के विभिन्न वर्गों, और नागरिकों के विचारों को शामिल किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, 47 राजनीतिक पार्टियों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. इसके अतिरिक्त, एक सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से 21,558 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से 80% ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.

विशेषज्ञों की राय

रिपोर्ट में शामिल कानूनी विशेषज्ञों, पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, और प्रमुख व्यापार संगठनों के विचार भी प्रस्तुत किए गए हैं. उनके अनुसार, विभाजित चुनावों के कारण महंगाई, धीमी आर्थिक वृद्धि, और सामाजिक असंतुलन उत्पन्न हो सकता है. समिति ने दो चरणों में इस प्रस्ताव को लागू करने की योजना सुझाई है. पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव, और दूसरे चरण में नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनाव को एक साथ कराने का प्रस्ताव है. इसके साथ ही, एक साझा मतदाता सूची और एक ही इलेक्ट्रोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) का उपयोग करने की सिफारिश की गई है.

इस प्रस्ताव के तहत यदि सरकार आगे बढ़ती है, तो चुनावी प्रक्रिया में एक नई दिशा और सुव्यवस्थितता देखने को मिल सकती है. हालांकि, यह सब भविष्य की योजना पर निर्भर करेगा कि यह विचार वास्तविकता का रूप लेता है या नहीं.

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