MP News: इंदौर में 36 साल से हो रहा था गरबे का आयोजन, आयोजक के मुस्लिम होने पर हिंदू जागरण मंच ने जताई आपत्ति
MP News: आज से नवरात्रि शुरू हो गई है, माता की आराधना में कई स्थानों पर गरबे किए जाते है. गरबे के छोटे से लेकर बहुत बड़े बड़े आयोजन भी होते है. लेकिन इंदौर में पिछले 36 साल से किए जा रहे गरबे के आयोजन को इस साल रोकना पड़ा है, इसकी वजह उसका आयोजक फिरोज खान का होना है. आयोजक के मुस्लिम होने की वजह से हिंदू जागरण मंच ने आपत्ति ले ली, तो गरबों का यह आयोजन इस साल निरस्त कर दिया गया है. आयोजन निरस्त होने से गरबा करने वाली बच्चियों में घोर निराशा है तो वहीं आयोजक इसे राजनीतिक द्वेषता बता रहे है. लेकिन हिंदू जागरण मंच इसके माध्यम से लव जेहाद को बढ़ावा देने का प्रयास बता रहा है. हालांकि इस पूरे विवाद से पुलिस कोसों दूर है.
पिछले 36 साल हो रहा है आयोजन
शिखर गरबा मंडल द्वारा गणेश नगर में पिछले 36 वर्षो से गरबों का आयोजन करवाया जा रहा है. 10 साल से अधिक समय से इन गरबों का आयोजक फिरोज खान है. इतने वर्षो में उसके आयोजन पर किसी को आपत्ति नहीं थी, लेकिन इस साल इस आयोजन का आयोजक फिरोज खान को बताते हुए होर्डिंग बैनर लगाकर जमकर प्रचार प्रसार किया गया और यही फिरोज खान मात खा गया.
आयोजक का कहना- उसके अलावा समिति के अन्य सदस्य हिंदू
फिरोज खान का दावा है कि आयोजन समिति में उसके अलावा बाकी सभी हिंदू है. उसकी दुर्गा माता के प्रति अत्यधिक आस्था है, इस वजह से वह माता की उपासना करते हुए गरबों का आयोजन करता है. फिरोज खान के आयोजन में उसके और बेटे के अलावा और कोई मुस्लिम नही आता, इस वजह से लव जेहाद का कोई मामला ही वहां नही बनता.
आज से होना था आयोजन
आज से गरबा का आयोजन शुरू होना था, पूरे इलाके में लाइटिंग करने के साथ ही पंडाल भी सजा दिया गया था. लेकिन आयोजन निरस्त होने के बाद पंडाल हटा दिया गया. गरबा परिसर में के गई लाइट्स को भी हटाने का काम शुरू कर दिया गया.
वहीं इस पूरे मामले पर स्थानीय रहवासी शीला मंसारी का कहना है कि पहले गरबा का यह आयोजन अलग स्थान पर किया जाता था. इस बार यहां बड़ा आयोजन किया जा रहा था, लेकिन अब यह आयोजन नही किया जा रहा, जो भी हुआ गलत हुआ है.
गरबा निरस्त हों का सबसे अधिक दुख उन बच्चियों को है, जो पिछले कई दिनों से इसकी प्रेक्टिस कर रही थी. ये बच्चियां पिछले कई वर्षो से यही गरबा करती आई है. अब वे कई और गरबा खेलने और देखने भी नही जा सकती. उन सभी में खासी निराशा फैली हुई है.
सिर्फ लड़कियां ही करती हैं गरबा
वहीं आयोजन समिति के सदस्य मुकेश कुशवाह का कहना है कि उनके कार्यक्रम में सिर्फ लड़कियां ही गरबा करती है. इस साल उन्होंने 200 लड़कियों का रजिस्ट्रेशन किया था. लड़किया अपने पेरेंट्स के साथ ही आती जाती है, यदि कभी को बच्ची परिजन के साथ नही आती तो आयोजन समिति के लोग उसे छोड़ने घर तक जाते हैं. बच्चियों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाता है. उनमें से अधिकतर को गरबा निरस्त होने की जानकारी नहीं है, जब वे शाम को आएंगी तो उन्हे क्या जवाब देंगे.
पदाधिकारियों का कहना- फिरोज खान पहले हिंदू धर्म अपना ले, फिर करे आयोजन
वहीं हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारी सुमित हार्डिया का कहना है कि गरबे का आयोजक कोई मुस्लिम कैसे हो सकता है। फिरोज खान पहले हिंदू धर्म अपना ले फिर आयोजन करे तो हमे कोई आपत्ति नहीं होगी। फिरोज खान का गरबा करवाने का उद्देश्य सिर लव जेहाद को बढ़ावा देना है। हमने प्रशासन से गरबा निरस्त करने की मांग की थी, लेकिन आयोजको ने स्वतः ही गरबा निरस्त कर दिया है।
बड़ी बात यह है कि यह पूरा विवाद बिना पुलिस के ही निपट गया. आयोजको ने गरबे के आयोजन के लिए पुलिस से अनुमति नहीं ली थी. ऐसे में उनका आयोजन पुलिस को निरस्त भी नही करना पड़ा.
सूत्रों की माने तो फिरोज खान इस इस साल भी इस आयोजन को सफलतापूर्वक कर सकता था, लेकिन उसने इस साल आयोजन को बड़ा करने के साथ ही बैनर पोस्टर लगाकर इसका जमकर प्रचार कर दिया, जिसमे खुद का बड़ा फोटो लगाकर उसके नीचे आयोजक लिख दिया. यहीं से वह हिंदू संगठनों के निशाने पर आ गया और उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया.