MP News: इंदौर में साइबर अपराधियों का शिकार हुआ वैज्ञानिक दंपति, डिजिटल अरेस्ट कर बदमाशों ने ठगे 71.33 लाख

MP News: वैज्ञानिक ने दिल्ली से सिम लेने से इनकार करते हुए अपने आधार कार्ड के दुरुपयोग की बात कही. इसके बाद दूसरे ठग ने दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी राकेश कुमार बनकर मोबाइल नंबर 8917557283 से फोन किया.
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प्रतीकात्मक चित्र

MP News: इंदौर में सायबर अपराधियों द्वारा डिजिटल हाउस अरेस्ट कर लगातार ठगी की वारदातो को अंजाम दे रहे है. सामने आ रही है. अब सायबर अपराधियों ने आरआर कैट के सीनियर वैज्ञानिक और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 71.33 लाख रुपए ठग लिए.

ठगी के लिए बन गए क्राइम ब्रांच अधिकारी

वारदात को अंजाम देने के लिए ठगों ने खुद को सीबीआई, ईडी, ट्राई, दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर बात की. एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश दंडोतिया के अनुसार आरआर कैट इंदौर के सीनियर वैज्ञानिक की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने बीएनएस की धारा 308(2), 318(4), 3(5) में केस दर्ज किया है. वैज्ञानिक ने शिकायत करते हुए बताया कि 1 सितंबर की सुबह उन्हें मोबाइल नंबर 9580754384 से फोन आया था. सामने वाले ने खुद को ट्राइ अफसर सुशांत कुमार बताते हुए कहा कि आपके खिलाफ एक शिकायत डीएल1045/0824 रजिस्टर्ड हुई है. अफसर ने बताया कि 18 अगस्त 2024 को दिल्ली से एक सिमकार्ड आपके नाम से जारी हुआ है, जिससे गैरकानूनी विज्ञापन और महिला उत्पीडऩ संबंधी एसएमएस भेजे जा रहे हैं.

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वैज्ञानिक ने दिल्ली से सिम लेने से इनकार करते हुए अपने आधार कार्ड के दुरुपयोग की बात कही. इसके बाद दूसरे ठग ने दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी राकेश कुमार बनकर मोबाइल नंबर 8917557283 से फोन किया. वैज्ञानिक को मनी लांड्रिंग और ह्यूमन ट्रैफिकिंग का केस दर्ज होने और अरेस्ट वारंट जारी होने का डर दिखाया. उन्हें केस में शामिल 300 आरोपियों में से एक होना बताया. गिरफ्तारी वारंट भी व्हाट्सएप पर भेज दिया.

2 घंटे की बातचीत, लगाया लाखों का चूना

कहा कि आप सरकारी कर्मचारी हैं, इसलिए गिरफ्तारी नहीं हुई है. इसके अगले दिन उन्हें सीबीआई अधिकारी बनकर 8979310521 नंबर से ठग का फोन आया. 2 घंटे इंटरनेट कॉलिंग और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ की, 24 घंटे तक सर्विलांस से नहीं हटने को कहा. फिर डराया कि केस में राष्ट्रीय बैंकों के मैनेजर और पुलिस भी शामिल है.

भरोसे में लेकर सभी बैंक खातों की डिटेल मांगी. जमा राशि, म्यूचुअल फंड का पूछा और आरबीआई अधिकारी बनकर 71.33 लाख रुपए 23 अलग-अलग खातों में जमा करवा लिए और इसके बारे में नजदीकी थाने पर जाकर जानकारी लेने के बात कही. जब पीड़ित वैज्ञानिक राजेंद्र नगर थाने पहुंचे तो उन्हे पता चला कि उनके साथ ठगी हो गई है. इसके बाद उन्होंने क्राइम ब्रांच को शिकायत की है.

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