CG News: छत्तीसगढ़ के इस गांव में 1 हफ्ते पहले मनाई जाती है दिवाली, जानिए इस अनोखी परंपरा की कहानी

CG News: दिवाली त्योहार का हर किसी को बेसर्बी से इंतजार है, पांच दिनों के इस त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. बता दें कि दिवाली हर साल कार्तिक अमावस्या की तिथि को मनाई जाती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गांव है, जहां दिवाली 1 सप्ताह पहले से मनाई जाती है. हम बात कर रहे है, धमतरी जिले में स्थित सेमरा (भखारा) गांव की.
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दिवाली

CG News: दिवाली त्योहार का हर किसी को बेसर्बी से इंतजार है, पांच दिनों के इस त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. बता दें कि दिवाली हर साल कार्तिक अमावस्या की तिथि को मनाई जाती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गांव है, जहां दिवाली 1 सप्ताह पहले से मनाई जाती है. हम बात कर रहे है, धमतरी जिले में स्थित सेमरा (भखारा) गांव की.

यहां 1 हफ्ते पहले मनाई जाती है दिवाली

धमतरी जिले के सेमरा (भखारा) गांव में एक अनोखी परंपरा विगत कई वर्षों से चली आ रही है. पूरे देश में दिवाली एक निश्चित तिथि पर मनाई जाती है लेकिन यहां ग्रामीण दीपावली के एक हफ्ते पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी व नवमी तिथि के दिन ही दिवाली मना लेते हैं. ये परंपरा सदियों पुरानी चली आ रही है. यह के लोग आज भी अनोखी परंपरा का निर्वहन करते हुए एक सप्ताह पहले 24 अक्टूबर को दिवाली मना लेंगे. इसके बाद 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा का होगी. गांव में इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है. भखारा क्षेत्र के ग्राम सेमरा की अनोखी परंपरा है.

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जानिए क्या है मान्यता

यहां प्रमुख त्योहार निर्धारित तिथि से एक सप्ताह पहले मनाया जाता है. यहां के ग्रामीण बताते है कि गांव के आराध्य सिरदार देव के आदेश पर पुरखों के जमाने से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है, उन्होंने बताया कि गांव का कोई भी व्यक्ति इस परंपरा के खिलाफ नहीं जाता. बताते हैं कि इस गांव में सैकड़ों वर्ष पहले कोई बुजुर्ग राजा आए और यहीं बस गए. उनका नाम सिरदार था. यह गांव घन घोर जंगल से घिरा हुआ. राजा सिरदार पर गांव वालों गहरी आस्था थी. उनकी चमत्कारी शक्तियों और बातों से ग्रामीण प्रभावित थे. वे ग्रामीणों परेशानियां दूर करते थे. राजा सिरदार एक रोज शिकार के लिए गए और खुद शिकार हो गए, जिसके बाद गांव के बैगा को सपना आया कि मेरा शव इस स्थान पर है. इस सपने का जिक्र बैगा ने ग्रामीणों से किया लेकिन बैगा की बातों को ग्रामीणों ने नहीं माना.

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