“उतनी ही गारंटी दें जो पूरा कर सकें…”, क्यों अपनी ही पार्टी के नेताओं पर भड़क गए कांग्रेस चीफ खड़गे?

कर्नाटक पर पहले से लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, और ऐसे में नई गारंटियों का बोझ इसे और बढ़ा सकता है. बीजेपी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा है कि कर्नाटक सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से ग्रस्त है, और इन सभी चुनौतियों के बीच नए विकास प्रोजेक्ट के लिए धन की कमी हो रही है.
Mallikarjun Kharge

मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस अध्यक्ष

Mallikarjun Kharge: कर्नाटक राज्य इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. ऐसे में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी नेताओं और सरकार को खुलकर अपनी बातें रखीं. उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार को उतनी ही गारंटी का वादा करना चाहिए, जितना वो वास्तव में पूरा कर सकती है. उनका यह बयान विशेष रूप से उस समय आया है जब कांग्रेस ने चुनावों में कई बड़े वादे किए थे, जो अब बजट की सीमाओं के कारण मुश्किल होते दिख रहे हैं.

खड़गे की चेतावनी

खड़गे ने कहा कि बिना वित्तीय स्थिति का ध्यान रखते हुए वादे करती है, तो यह दिवालियापन की ओर ले जा सकता है. उनका कहना था, “यदि सरकार असफल हुई, तो इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा.” उन्होंने यह भी कहा कि अगर बजट पर विचार नहीं किया गया, तो सड़कों पर काम करने के लिए भी धन की कमी हो सकती है.

महाराष्ट्र को लेकर क्या कहा?

खड़गे ने कर्नाटक के अनुभवों का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं को सलाह दी है कि वे केवल उन गारंटियों का वादा करें, जो उनके बजट के अनुकूल हों. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में चुनावी वादे अब बजट के आधार पर बनाए जाएंगे, और इस संबंध में राहुल गांधी भी सहमत हैं.

कर्नाटक चुनाव में गारंटियां

कांग्रेस ने कर्नाटक में चुनावों के दौरान लोगों के सामने कई महत्वपूर्ण गारंटियां रखीं थीं, जिनमें प्रमुख रूप से-

गृह लक्ष्मी योजना – महिलाओं को हर महीने 2,000 रुपये.
युवा निधि – बेरोजगार ग्रेजुएट्स को दो साल के लिए 3,000 रुपये.
अन्न भाग्य योजना – गरीबी रेखा के नीचे हर परिवार को प्रति व्यक्ति 10 किलो चावल.
सखी कार्यक्रम – महिलाओं के लिए सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा.
गृह ज्योति योजना – हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली.

हालांकि, जानकारों का कहना है कि अगर ये सभी गारंटियां पूरी की गईं, तो कर्नाटक का राजस्व घाटा 60 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपये हो सकता है. यह राज्य के कुल बजट का लगभग 21 प्रतिशत होगा.

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वित्तीय स्थिति की गंभीरता

कर्नाटक पर पहले से लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, और ऐसे में नई गारंटियों का बोझ इसे और बढ़ा सकता है. बीजेपी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा है कि कर्नाटक सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से ग्रस्त है, और इन सभी चुनौतियों के बीच नए विकास प्रोजेक्ट के लिए धन की कमी हो रही है.

खड़गे की यह चेतावनी न केवल कर्नाटक के लिए, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है. बजट पर ध्यान न देने का मतलब है कि सरकार को न केवल आज की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह संकट बन सकता है.

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