दलितों को मंदिर का पुजारी बनाने पर धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा बयान, शंकराचार्यों से किया यह आह्वान

Dhirendra Shastri: पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में छा गए हैं. हिंदुओं को एकजुट करने के लिए हिंदू एकता पद यात्रा शुरू करने से पहले उन्होंने दलितों और आदिवासियों को मंदिर का पुजारी बनने पर बड़ा बयान दिया है. जानें पूरा मामला-
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पंडित धीरेंद्र शास्त्री

Dhirendra Shastri: बागेश्वर धाम के पीठाधीश और प्रसिद्ध कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री ने दलितों और आदिवासियों को मंदिर का पुजारी बनाने पर एक बयान दिया है. उन्होंनें शंकराचार्य और आचार्यों से इसे लेकर आह्वान भी किया है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वैष्णो धर्म मनने वाले सभी हिंदू हैं तो दलित को पुजारी बनाने में क्या आपत्ति है. इस बयान को लेकर एक बार फिर वह सुर्खियों में छा गए हैं.

पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बयान

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा- ‘वैदिक परंपरा का अनुसरण करने वाले, वैष्णव परंपरा को मानने वाले, हमारे देश के शंकराचार्य, महामंडलेश्व से निवेदन है कि वे दलितों को भी यह अधिकार दें. अगर हमारे हाथ में होता तो हम आज ही कर देते.’ उन्होंने कहा- ‘न कोई दलित है, न अगड़ा है, न पिछड़ा है, न बिछड़ा है, न कोई ब्राम्हण है, सब हिंदू हैं. मंदिर का पुजारी बनाने के लिए वैष्णव धर्म मानने वाले सभी हिंदू हैं तो दलित को पुजारी बनाने में क्या आपत्ति.’

शंकराचार्य और आचार्यों से आह्वान

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शंकराचार्य और आचार्यों से आह्वान करते हुए कहा-‘हमारे देश के महामंडलेश्वर और आचार्यों से निवेदन है कि सभी हिंदुओं को मंदिर का पुजारी बनने का अधिकार मिलना चाहिए. हम यह नहीं कहेंगे कि ऐसा होना चाहिए. लेकिन सामाजिक समरसता के लिए बेझिझक इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए. जब हम हिंदू ही बना रहे हैं तो इसमें कौन दलित, कौन अगड़ा, कौन पिछड़ा और कौन बिछड़ा है. जब सब एक हो रहे हैं तो यह मैटर ही खत्म होता है और जब सब हिंदू हैं तो हिंदू ही मंदिर के पुजारी हैं.’

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हिंदू एकता पद यात्रा

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 21 नवंबर से 29 नवंबर तक सनातन हिंदू एकता पदयात्रा निकालने वाले हैं. यह यात्रा बागेश्वर धाम से रामराजा सरकार की नगरी ओरछा तक जाएगी. इस पदयात्रा को लेकर पंडित शास्त्री ने कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य विभिन्न पंथों में बंटे सनातन हिंदुओं को एकजुट करना और जाति के भेद को खत्म करना है.

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