MP News: 100 आदिवासी बच्चों की सुध लेने वाला कोई नहीं, बड़वानी के छप्पर वाले जर्जर भवन में चल रहा सरकारी स्कूल

MP News: सरकारी स्कूल का भवन साल 2017 में जर्जर हो गया था, साथ ही तालाब निर्माण के चलते यह डूब क्षेत्र में भी आ गया. 
badhwani

बड़वानी का स्कूल

MP News: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सेंधवा विकासखंड के हिंगवा ग्राम पंचायत में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो सूबे में बेहतर शिक्षा और सुविधाओं पर सवाल उठाने को मजबूर कर रही है. प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा में हींगवा ग्राम पंचायत में स्थित ऐसा सरकारी स्कूल देखने को मिला, जिसकी स्थिति बेहद ही खराब है.

हींगवा में स्थित सरकारी स्कूल टीन शेड के जुगाड़ वाले भवन में चल रहा है. इस भवन की स्थिति बेहद खराब है. भवन का न तो प्लास्टर हुआ है और न ही इसमें पक्की छत है, फिर भी यहां रोज बच्चे पढ़ने आते हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि इस बदहाल सरकारी स्कूल में 10 या 20 नहीं, बल्कि लगभग 100 आदिवासी परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक भी सिर्फ दो ही हैं, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदार आवेदन-निवेदन के बाद भी सुध ही नहीं ले रहे हैं.

नहीं बदल रही सरकारी सिस्टम की सूरत

सेंधवा के हींगवा में संचालित हो रहा सरकारी स्कूल बीते पांच वर्षों से इसी तरह अपनी बदहाली पर रो रहा है. यह स्थिति तब है, जब प्रदेश में बच्चों के लिए सीएम राइज और पीएश्री जैसे विद्यालयों की बात कर उनके उज्ज्वल भविष्य को गढ़ने के बड़े-बड़े दावे और वादे किए जाते हैं, लेकिन अफसोस हींगवा के सरकारी स्कूल में पक्की छत तक नहीं है. आधा दशक से बच्चे छप्पर वाले कमरे में ही बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

पीने के पानी तक की नहीं है व्यवस्था

21वीं सदी के तीसरे दशक के इस सरकारी स्कूल में सुविधाओं के नाम पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है. अगर बच्चे अपने साथ पानी लाए हैं तो ठीक, नहीं तो प्यास लगने पर उन्हें प्यासा ही रहना पड़ता है. एक और बड़ी बात यह भी है कि पहली से आठवीं तक के इस सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए 97 बच्चे आते हैं, जिनके लिए यहां आने के लिए सीधी सड़क तक नहीं है. बारिश के समय तो परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है.

कब खत्म होगी खोखले वादों की रवायत?

सरकारी स्कूल का भवन साल 2017 में जर्जर हो गया था, साथ ही तालाब निर्माण के चलते यह डूब क्षेत्र में भी आ गया.  इसके बाद से स्कूल का कोई भवन नहीं है. यही वजह है कि हींगवा में सरकारी स्कूल के बच्चे कभी पेड़ के नीच पढ़ते हैं, कभी आंगन में, तो कभी छप्पर वाले कमरे में.
प्रदेश में बड़ी आबादी आदिवासियों की है, जिनके वोट हासिल कर सियासी दल अपनी सरकार बनाते हैं, लेकिन इनका कल्याण तो सिर्फ कागजों तक ही सीमित नजर आता है. सेंधवा विकासखंड के स्कूली शिक्षा की तस्वीर इसकी बानगी है, जिसकी विस्तार न्यूज ने पड़ताल की है.

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