संसद सत्र से पहले ही क्यों फटता है अडानी ‘बम’? इस बार भी विपक्षी हंगामे की भेंट चढ़ सकता है जनता के मुद्दे!
राहुल गांधी और विपक्ष की जेपीसी की मांग
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) गठित करने की मांग की है. राहुल गांधी का कहना है कि अडानी समूह के खिलाफ बड़े आरोप हैं, जिनकी निष्पक्ष और पारदर्शी जांच होनी चाहिए. इसके तहत जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए, ताकि देशवासियों को विश्वास हो कि मामले की सही जांच हो रही है.
इस मांग के बाद विपक्षी दलों की एकजुटता दिखाई दे रही है. कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP) और अन्य विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांग रहे हैं. विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार अडानी मामले की जांच से बचने के लिए प्रयास कर रही है, और इसलिए जेपीसी की मांग की जा रही है.
2023 में जब अडानी मामले को संसद में उठाया गया था, तब भी विपक्ष ने सरकार से इस मामले पर जवाब देने की मांग की थी. उस दौरान भी संसद में जमकर हंगामा हुआ था और विपक्ष के अधिकांश दल कांग्रेस के साथ थे. हालांकि, उस समय सरकार ने जेपीसी की मांग को खारिज कर दिया था. अब, एक बार फिर यह मुद्दा तूल पकड़ चुका है, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि शीतकालीन सत्र में अडानी मामला बड़ा विवाद बन सकता है. एक बात और उस दौरान संसद का सत्र महज 3 दिन ही सही से चल पाया था.
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सरकार की क्या तैयारी?
इस शीतकालीन सत्र के दौरान कुल 15 विधेयक लोकसभा में और 18 विधेयक राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना है. इनमें प्रमुख विधेयक तटीय विधेयक 2024, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2024, पंजाब न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2024, और आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 शामिल हैं. इन विधेयकों के माध्यम से सरकार जलमार्गों के व्यापार को बढ़ावा देने की योजना बना रही है.
इसके अलावा, वक्फ संशोधन विधेयक और वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक पर भी चर्चा हो सकती है. वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक को लेकर सरकार ने अपनी तैयारी लगभग पूरी कर ली है, लेकिन विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. वक्फ संशोधन विधेयक पर भी खासा विरोध देखने को मिल सकता है, जैसा कि पिछले सत्र में हुआ था.
संसद की कार्यवाही पर होने वाला खर्च
पूर्व लोकसभा स्पीकर पीडीटी आचारी ने एक रिपोर्ट में बताया था कि संसद की एक मिनट की कार्यवाही पर करीब 2.5 लाख रुपये का खर्च आता है. इसमें सांसदों के वेतन, भत्तों, सुरक्षा और अन्य प्रशासनिक खर्चे शामिल हैं. यह रकम करदाताओं के पैसों से ही चुकाई जाती है, और इसलिए संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए इन खर्चों का ध्यान रखना जरूरी होता है.
इस बार शीतकालीन सत्र के दौरान अडानी मामले पर विपक्षी दलों द्वारा जोरदार हंगामा किया जा सकता है, जिससे सत्र की कार्यवाही पर असर पड़ सकता है. सरकार और विपक्ष के बीच इस मामले पर तीखी बहस होने की संभावना है, जो देश के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को प्रभावित कर सकती है.