कुंदरकी में BJP ने कैसे लिखी जीत की इबारत…क्या मुसलमानों ने सपा से कर लिया किनारा? जानें पूरी ABCD
Kundarki By-Election: उत्तर प्रदेश के कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है. बीजेपी ने मुस्लिम बहुल इस सीट पर अपनी जबरदस्त चुनावी रणनीति और फोकस को लेकर गेम चेंजर साबित हुई है. इस बार बीजेपी ने मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए हर संभव प्रयास किए, और आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई.
बीजेपी की जीत का राज, मुस्लिम वोटों पर फोकस
कुंदरकी सीट पर मुस्लिम समुदाय की निर्णायक भूमिका रही है, और बीजेपी ने इस बार मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए विशेष कदम उठाए थे. बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ने शुरुआत से ही मुस्लिम क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति मजबूत की, सिर पर टोपी पहनकर और मुस्लिम शैली में प्रचार करते हुए, वे मुस्लिम समाज के बीच एक गहरी समझ और जुड़ाव स्थापित करने में कामयाब रहे.
नोटों से तौला गया, वोटों में बदला असर
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कुंदरकी के मूंढापांडे गांव में मुस्लिम समुदाय ने रामवीर सिंह का वजन तौला और शगुन के रूप में नोट दिए. इस पर रामवीर सिंह ने आभार व्यक्त करते हुए मुस्लिम वोटरों के बीच यह विश्वास स्थापित किया कि बीजेपी उनके हित में काम करेगी. मुस्लिम समुदाय ने यह दावा किया था कि वे इस मिथक को तोड़ देंगे कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देते, और उन्होंने यह कहकर बीजेपी को समर्थन दिया कि वे वोट भी देंगे और चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाएंगे.
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मुस्लिम वोटों का असर
बीजेपी को कुंदरकी में जीत के लिए मुस्लिम वोटों का समर्थन बेहद जरूरी था, और रामवीर सिंह की रणनीति ने असर दिखाया. मुस्लिमों की एक बड़ी संख्या ने उनके पक्ष में मतदान किया, जिससे बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली. खासकर मुस्लिम राजपूत समुदाय को रामवीर सिंह ने अपने साथ जोड़ा, जिससे उनकी पार्टी को काफी फायदा हुआ.
सपा और अन्य दलों के खिलाफ मजबूती से खड़ी बीजेपी
कुंदरकी में सपा और अन्य दलों ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन बीजेपी ने अपनी मुस्लिम सियासत को बढ़ावा देकर उन्हें कड़ी चुनौती दी. बीजेपी ने यह सिद्ध कर दिया कि अब वह किसी भी सियासी वर्ग को नजरअंदाज नहीं कर सकती, और अपनी मेहनत से उसे तोड़ भी सकती है.
इस जीत के साथ ही बीजेपी ने दिखा दिया कि वह किसी भी चुनावी चुनौती से पार पाने की पूरी तैयारी रखती है. कुंदरकी सीट पर बीजेपी का जीतना यह भी दर्शाता है कि पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव कर लिया है और मुस्लिम वोटरों को अपने साथ लाने में सफलता पाई है. बीजेपी की इस जीत ने एक बार फिर साबित किया कि चुनावी राजनीति में हर कदम की अहमियत होती है, और सही रणनीति से किसी भी चुनावी समीकरण को बदलने की ताकत होती है.