“हमारे सांसद तो बेंगलुरु में थे, फिर FIR कैसे?”, संभल हिंसा पर अखिलेश यादव का बड़ा सवाल
Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान 23 नवंबर, 2024 को भड़की हिंसा को लेकर राजनीतिक और कानूनी विवाद पैदा हो गया है. इस हिंसा के आरोप में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और स्थानीय विधायक के बेटे सोहेल इकबाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. हालांकि, इस एफआईआर को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गंभीर सवाल उठाए हैं और इसे सरकार की साजिश करार दिया है.
सपा अध्यक्ष ने उठाए FIR पर सवाल
अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर कहा, “यह घटना दुखद है. हमारे सांसद जियाउर्रहमान बर्क तो उस समय संभल में थे ही नहीं, वे बेंगलुरु में थे. फिर भी उनके खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गई?” उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी हिंसा एक सुनियोजित तरीके से करवायी गई है और सरकार इसके पीछे जिम्मेदार है. अखिलेश ने यह भी कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को विधानसभा में उठाना चाहता था, लेकिन सदन में इसे उठाने का कोई मौका नहीं दिया गया. अखिलेश यादव ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह एक राजनीतिक साजिश है, जो पूरी तरह से सरकार ने रची है.
जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा
संभल के जामा मस्जिद में सर्वे किए जाने का आदेश कोर्ट ने दिया था. 23 नवंबर को जब पुलिस और प्रशासन की टीम सर्वे के लिए मस्जिद पहुंची, तो कुछ लोग वहां एकत्रित हो गए और नारेबाजी करने लगे. देखते ही देखते, हालात बिगड़ गए और लोग उग्र हो गए.
भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया और वाहनों को आग लगा दी. स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठियों का इस्तेमाल किया. जब भीड़ पर काबू नहीं पाया गया, तो पुलिस ने गोलियां भी चलाईं, जिसमें कई लोग घायल हो गए और 4 लोगों की मौत हो गई.
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हिंसा में मारे गए लोग और उनका परिवार
संभल हिंसा में मारे गए लोगों की पहचान नईम, बिलाल अंसारी, नौमान और मोहम्मद कैफ के रूप में हुई. इन लोगों की मौत के बाद, उनके परिवार वालों ने पुलिस की फायरिंग को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज की है. एक निजी संस्था ने इस घटना का वीडियो भी भेजा है, जिसमें पुलिस की कार्रवाई को गलत बताया गया है.
यहां तक कि कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पुलिस की फायरिंग में ये लोग मारे गए, और ये सभी युवा मासूम थे, जो केवल अपनी आवाज उठा रहे थे.
FIR में सपा सांसद पर आरोप
संभल हिंसा के बाद पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और स्थानीय विधायक के बेटे सोहेल इकबाल के खिलाफ केस दर्ज किया. पुलिस का कहना है कि दोनों नेताओं ने सुनियोजित तरीके से इस हिंसा को भड़काया और मस्जिद के बाहर लोगों को एकत्र किया. इसके बाद, उन्होंने लोगों को उकसाया, जिससे हिंसा में वृद्धि हुई.
पुलिस ने इस मामले में छापेमारी की और कुछ उपद्रवियों को गिरफ्तार भी किया. वहीं, सपा अध्यक्ष ने इन आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए इसे एक राजनीतिक साजिश बताया है.
हिंसा के लिए सरकार जिम्मेदार- अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि हिंसा की शुरुआत पुलिस के अत्यधिक दबाव और दमनात्मक व्यवहार से हुई. उन्होंने कहा कि जब सर्वे का कारण जानने के लिए लोग इकट्ठा हुए, तो सर्किल ऑफिसर ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जिससे स्थिति और बिगड़ी. अखिलेश ने दावा किया कि इसके बाद पुलिस ने अनावश्यक रूप से आक्रामक कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा हुई और कई लोगों की जान गई.
सपा अध्यक्ष ने यह भी मांग की कि इस हिंसा के लिए जिम्मेदार पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.
अखिलेश यादव ने कहा, “सिर्फ पुलिस ही नहीं, बल्कि उन सभी लोगों को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए जिन्होंने इस हिंसा को बढ़ावा दिया. जब तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक इस प्रकार की घटनाओं को रोकना मुश्किल होगा. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति या संस्था संविधान के खिलाफ काम न करे.”
हिंसा के बाद प्रशासन की छानबीन जारी
संभल हिंसा के बाद, जिला प्रशासन और पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी की है. मामले की जांच जारी है और अधिकारियों का कहना है कि जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
संभल हिंसा ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल खड़ा किया है और इससे संबंधित राजनीति भी तेज हो गई है. इस घटनाक्रम पर अब मानवाधिकार आयोग और अन्य प्रशासनिक जांच एजेंसियों की नजर है. अब देखना ये है कि मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है.