MP News: इंदौर BRTS हटाने के लिए हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार, कांग्रेस बोली- जनता की गाढ़ी कमाई बर्बाद की जा रही
MP News: 10 साल बाद इंदौर के साढ़े 11 किलोमीटर के BRTS को हटाने की बातें शुरू कर दी गई हैं. पिछले दिनों इंदौर पहुंचे सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसको लेकर अपना मत स्पष्ट कर दिया है. अब हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार है जो आते ही BRTS को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. हालांकि इसको हटाकर नया निर्माण करने का अभी तक बजट तय नहीं किया गया है. लेकिन BRTS हटाने को लेकर शहर में लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है.
BRTS सालाना विज्ञापन से 5 करोड़ रुपये कमाता है
साल 2006 में इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर विवेक अग्रवाल यूरोप यात्रा पर गए थे. वहां उन्होंने BRTS कॉरिडोर पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का संचालन किया जाता है. उसके बाद ही इंदौर में BRTS बनाने की योजना बनाई गई. 2011 में इसका निर्माण शुरू किया गया. योजना बनते समय पूरे शहर में 110 किलोमीटर का BRTS बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह सिर्फ एबी रोड पर साढ़े 11 किलोमीटर का ही बनाया गया. इस रूट पर सबसे अधिक कोचिंग इंस्टीट्यूट होने की वजह से आई बस में स्टूडेंट्स सबसे अधिक ट्रैवल करते है. इस रूट पर डेढ़ दर्जन से अधिक बस स्टॉप है, बस स्टॉप में एंट्री एग्जिट मेट्रो स्टेशन की तरह टिकट का क्यूआर कोड दिखाने से ओपन होने से होती है. BRTS कॉरिडोर पर सालाना करीब 5 करोड़ रुपये विज्ञापन की आय होती है जो एआईसीटीएसएल (AICTSL) को ही मिलती है. अब कोर्ट का आदेश आने पर इसे हटाने की प्रक्रिया शुरू किया जाएगा.
जब बन रहा था तब विरोध क्यों नहीं किया- कांग्रेस
BRTS हटाने की बात शुरू होते ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेताओं का दावा है कि BRTS निर्माण और संचालन में पिछले 10 सालों में करीब 500 करोड़ रुपये खर्च किए गए है. पहले जनता की गाढ़ी कमाई से वसूले गए टैक्स को बर्बाद कर दिया. अब तोड़कर और बर्बाद करेंगे. जिन अधिकारियों ने यह प्लानिंग की थी उनकी संपति बेचकर इसकी भरपाई करना चाहिए. जब यह बनाया जा रहा था, तब शहर के नेताओं ने इसका विरोध क्यों नहीं किया था. अब तोड़ने का हर कोई स्वागत कर रहा है.