भारत में ‘डीप स्टेट’ की साजिश, अडानी के बहाने विदेशी ताकतों का ‘खेल’, क्या जाल में फंसता जा रहा है विपक्ष?

विशेषज्ञों का कहना है कि विपक्ष भी कहीं न कहीं इस विदेशी साजिश का हिस्सा बन सकता है. संसद में हंगामा मचाकर विपक्षी दल जनहित के मुद्दों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे भारत की प्रगति रुक रही है.
प्रतीकात्मक तस्वीर

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Deep State Conspiracy: भारत में इस समय एक चर्चा जोर पकड़ रही है, और वह है “डीप स्टेट” की साजिश. विदेशी ताकतों ने भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए अब तक कई बार कोशिश की है, और अब इसे अडानी जैसे उद्योगपतियों के नाम से उठाया जा रहा है. लेकिन क्या वाकई ऐसा हो रहा है? या यह बस एक संयोग है? इस सवाल का उत्तर खोजने के लिए हमें पहले “डीप स्टेट” के बारे में समझना होगा.

“डीप स्टेट” का मतलब है एक गुप्त नेटवर्क या सत्ता, जो अपनी खुद की एजेंडे पर काम करती है और सरकार के खिलाफ साजिशें रचती है. इसके जरिए विदेशी शक्तियां किसी देश की आंतरिक स्थिति को अस्थिर बनाने की कोशिश करती हैं, ताकि उनकी खुद की राजनीति और आर्थिक हितों को बढ़ावा मिल सके. इसका उद्देश्य देश के हालात को खराब करना हो सकता है—चाहे वह आर्थिक संकट हो, सामाजिक बंटवारा हो या गृहयुद्ध जैसी स्थिति हो.

अडानी के बहाने हमला

हाल ही में गौतम अडानी और उनके समूह पर विदेशी शक्तियों ने कथित रिपोर्ट के जरिए हमले किए हैं. इसके बाद से यह दावा किया जा रहा है कि हो न हो इसके पीछे कोई साजिश है. अडानी न केवल भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक हैं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ भी माने जाते हैं. अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए, और इसके बाद अमेरिकी न्याय विभाग ने भी अडानी और उनके परिवार पर कुछ आरोप लगाए, फिर कुछ दिन बाद इन आरोपों से मुकर गए. इसके बावजूद, अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ा.

अडानी पर यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि भारत की पूरी अर्थव्यवस्था और उसकी प्रगति पर था. विशेषज्ञ मानते हैं कि विदेशी ताकतें अडानी को निशाना बना रही हैं, क्योंकि वह भारतीय अर्थव्यवस्था के एक मजबूत स्तंभ हैं, और इन हमलों का मकसद सिर्फ अडानी को कमजोर करना नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक स्थिति को भी अस्थिर करना है.

क्या भारत में बांग्लादेश जैसा करने की है साजिश?

एक मीडिया चैनल से बातचीत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव कहते हैं, “यह कोशिश पिछले 7-8 वर्षों से हो रही है. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बांग्लादेश का हवाला दिया, जहां “डीप स्टेट” के जरिए सत्ता परिवर्तन की कोशिश की गई. वहां विपक्षी पार्टी को ताकतवर कर शेख हसीना की सरकार को अपदस्थ किया गया. यही कुछ भारत में भी करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन भारत की जनता को यह समझ आ चुका है, और यहां अव्यवस्था फैलाने के प्रयास सफल नहीं हो पा रहे हैं.

यह विदेशी ताकतें कभी अडानी पर, कभी बाबा रामदेव पर, कभी राफेल डील पर, तो कभी भारतीय सेना और वैक्सीन पर हमला करके देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन भारत की जनता इतनी समझदार है कि वह किसी भी विदेशी साजिश का शिकार नहीं होने देगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा अपने बेटे हंटर बाइडेन को माफी देने के फैसले ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है. बाइडेन ने अपने बेटे को माफ कर दिया, यह कहते हुए कि वह केवल इसलिए निशाना बनाए गए क्योंकि वह उनके बेटे हैं. सवाल यह उठता है कि जब अमेरिकी न्याय विभाग लगाए गए आरोपों से मुकर गया, तो वही विभाग भारत में उन आरोपों को क्यों सही ठहरा रहा है?जब बाइडेन ने अपने बेटे के खिलाफ रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया और उसे खारिज कर दिया, तो यह सवाल उठता है कि जिस अमेरिकी विभाग को वह खुद गलत मानते हैं, उसी विभाग की रिपोर्ट को भारत में क्यों सही माना जा रहा है? इस साजिश के पीछे कौन सी ताकतें काम कर रही हैं?

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क्या विपक्ष भी ‘डीप स्टेट’ के जाल में फंस चुका है?

विशेषज्ञों का कहना है कि विपक्ष भी कहीं न कहीं इस विदेशी साजिश का हिस्सा बन सकता है. संसद में हंगामा मचाकर विपक्षी दल जनहित के मुद्दों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे भारत की प्रगति रुक रही है. अगर संसद की कार्यवाही बाधित होती है, तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था और उसके सुधारों में भारी नुकसान हो सकता है. यह सब किसी बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा हो सकता है, जहां कुछ विदेशी ताकतें अपनी रणनीतियों के तहत भारत की राजनीति और समाज को अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं.

क्या सफल होंगी विदेशी ताकतें?

हालांकि विदेशी ताकतें पूरी कोशिश कर रही हैं, लेकिन भारत की जनता इतनी जागरूक है कि वह इन साजिशों का हिस्सा नहीं बनेगी. भारत के लोकतंत्र की ताकत और जनता का विश्वास इन विदेशी प्रयासों से कहीं अधिक मजबूत है. इसलिए, इन साजिशों का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. भारत की समृद्धि और प्रगति को कोई भी विदेशी ताकत बाधित नहीं कर सकती. इस समय, भारत को अपनी आंतरिक सशक्तता को बनाए रखने और विदेशी साजिशों को नकारने की जरूरत है. हमें यह समझना होगा कि ये हमले हमारी विकास यात्रा को रोकने के लिए नहीं, बल्कि उसे कमजोर करने के लिए किए जा रहे हैं. अब यह हमारे ऊपर है कि हम इन साजिशों से लड़ने के लिए क्या कदम उठाते हैं. भारत में “डीप स्टेट” की साजिशों का भूत कभी भी सामने आ सकता है, लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम इन विदेशी ताकतों के खेल को कैसे नाकाम करते हैं. अडानी के मामले में उठाए गए सवाल केवल एक बानगी हैं.

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