ग्वालियर के बहादुरा स्वीट्स पर लड्डू खाने जाते थे अटल बिहारी वाजपेयी, 4 किस्सों से समझिए पूर्व पीएम और शहर के बीच रिश्ता
Atal Bihari Vajpayee 100th Birthday: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसंबर को 100वीं जयंती है. पूर्व पीएम तो इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके विचार और उनकी कार्यशैली लोगों के जहन हमेशा रहती है. उनका ग्वालियर से खास नाता रहा है. बचपन ग्वालियर के कमल सिंह बाग में गुजरा. उन्होंने प्राथमिक और स्नातक की शिक्षा भी यहीं हासिल की. उनके राजनैतिक करियर की शुरूआत भी ग्वालियर से हुई.
पहला किस्सा: पूर्व पीएम अटल बिहारी ने अपना बचपन ग्वालियर की कमल सिंह बाग में गुजारा है. उनका पैतृक घर भी इसी इलाके में है. इन्हीं गलियों में होकर उन्होंने राजनीति में कदम बढ़ाया. अटल जी जब ग्वालियर से दिल्ली पहुंचे, वे बतौर प्रधानमंत्री कई बार अपने घर आए. सामान्य तरीके से सभी परिवारों से मुलाकात की. पूर्व पीएम ने जीवित रहते हुए अपने घर को लाइब्रेरी के रूप में तब्दील कर दिया था. ये उन्होंने बच्चों के प्रति अपने लगाव के चलते किया था. इस घर में कुछ दिन पहले तक उनकी भतीजी रहा करतीं थीं.
दूसरा किस्सा: अटल बिहारी वाजपेयी खाने के भी बड़े शौकीन थे. खुद भी खाते थे और दूसरों को भी खूब खिलाते थे. ग्वालियर में ऐसी कुछ चुनिंदा जगह मौजूद हैं, जहां उनका आना-जाना अक्सर हुआ करता था. उन्हीं में से एक दुकान है बहादुरा स्वीट्स. यहां के लड्डू और रसगुल्ले अटल जी को खासतौर पर पसंद थे. इतना ही नहीं जब वे प्रधानमंत्री बने तो बहादुरा स्वीट्स के लड्डू और रसगुल्ले दिल्ली भेजे जाते थे. दुकानदार का कहना है कि यहां के लड्डू पूर्व पीएम के लिए एंट्री पास का काम करते थे. मतलब अगर किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी से मिलना था, तो वह बूंदी के लड्डू जरूर ले जाता था.
तीसरा किस्सा: प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से लोग किस कदर प्यार करते हैं, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उनके विचारों से प्रभावित होकर लोगों ने ग्वालियर में उनका मंदिर ही बनवा दिया. मंदिर में प्रतिदिन भजन-आरती के साथ पूजा भी होती है. पूर्व पीएम की मृत्यु के बाद उनके चाहने वालों ने ग्वालियर की सत्यनारायण टेकरी पर उनका मंदिर बनवाया है. जहां रोज सुबह-शाम उनकी आरती की जाती है. चाहने वाले लोगों का कहना है कि अटल जी का व्यक्तित्व और उनके विचार के मन में बसे हुए हैं.
चौथा किस्सा: अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर ग्वालियर का हर शख्स खुद को गौरवान्वित महसूस करता है. इतना ही नहीं वे जिस गोरखी स्कूल में पढ़े, वहां उनकी यादों को संजोकर कर रखा हुआ है. स्कूल परिसर में ही अटल म्यूजियम बनाया गया है. जहां उनकी बचपन से लेकर छात्र जीवन और राजनीतिक जीवन के सभी यादों और वस्तुओं को सहयोग कर रखा हुआ है.
इस अटल म्यूजियम में पूर्व पीएम के कपड़े , टोपी, किताबें और बचपन जवानी के फोटो वहां प्रदर्शित किए गए है. सभी फोटो को प्रदर्शित किया गया है. जब वह प्रधानमंत्री थे तो पूरे विश्व भर के सभी नेताओं से मुलाकात की और भारत को सशक्त बनाने के लिए वार्तालाप की.