कहीं लट्ठमार तो कहीं मेदुरू… देशभर में कुछ इस अंदाज में मनाया जाता है होली
होली 2025
Holi 2025: होली का त्योहार भारत में रंगों और उमंगों से भरा होता है, और यह हर राज्य में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इस रंगीन त्योहार का आनंद लेने के साथ-साथ, यह बुराई पर अच्छाई की विजय और वसंत ऋतु के स्वागत का प्रतीक भी है. होली का पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है, और हर जगह का अपना विशेष तरीका होता है. आइए जानते हैं भारत के विभिन्न राज्यों में होली के उत्सव की खासियत…
ब्रज की लट्ठमार होली
उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में होली मनाने का तरीका बहुत ही अनोखा और रोमांचक है. मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना और नंदगांव जैसे स्थानों पर होली की धूम मची रहती है. यहां खास बात यह है कि इस होली में रंगों के अलावा लाठियों का भी इस्तेमाल किया जाता है. महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं और पुरुष इन हमलों से बचने के लिए ढाल का इस्तेमाल करते हैं. यह परंपरा भगवान कृष्ण और उनकी प्रेमिका राधा के बीच के शाश्वत प्रेम को दर्शाती है.
मेदुरू होली
दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में होली का उत्सव ‘मेदुरू होली’ के रूप में मनाया जाता है. यहां परंपरागत संगीत, नृत्य और रंगों से भरे जुलूस निकलते हैं. लोग कृष्ण भक्ति गीत गाते हुए एक-दूसरे पर रंग डालते हैं. यह खास परंपरा कृष्ण भक्तों की श्रद्धा को प्रकट करती है.
उदयपुर की शाही होली
राजस्थान के उदयपुर में होली का पर्व शाही ढंग से मनाया जाता है. मेवाड़ शाही परिवार के सदस्य होली से एक रात पहले अलाव जलाकर होलिका दहन करते हैं. इसके बाद, शाही बैंड के साथ एक भव्य घोड़ा परेड निकलती है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. यह परंपरा इस शहर के ऐतिहासिक गौरव को उजागर करती है.
कुमाऊंनी होली
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में होली कुछ अलग ढंग से मनाई जाती है. यहां होली रंगों के बजाय संगीत और गीतों के साथ मनाई जाती है. इस दिन किसान समुदाय विशेष रूप से उत्सव मनाता है, और होलिका दहन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. इस परंपरा को ‘चीर’ कहा जाता है, जो कृषि समुदाय के लिए नए मौसम के आगमन का संकेत है.
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रंग पंचमी
महाराष्ट्र में होली को ‘रंग पंचमी’ के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग रंगों में खेलते हुए ढोल की थाप पर नाचते-गाते हैं. यहां परंपरागत मिठाइयों और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद भी लिया जाता है. महाराष्ट्र में सड़कों पर गाने और संगीत वाद्ययंत्र बजाने की एक विशिष्ट परंपरा है, जो होली के उल्लास को और बढ़ा देती है.
दोल जात्रा
पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में होली ‘दोल जात्रा’ या ‘दोल पूर्णिमा’ के रूप में मनाई जाती है. इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और बालों में फूल सजाते हैं. महिलाएं और पुरुष एक साथ गायन और नृत्य करते हैं, और एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली का आनंद लेते हैं. यह त्योहार प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है.
शिग्मो
गोवा में होली को ‘शिग्मो’ कहा जाता है, जो वसंत ऋतु के स्वागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह त्योहार पारंपरिक लोक गीतों और नृत्य के साथ मनाया जाता है. गोवा के मछुआरे अपनी नावों को पौराणिक और धार्मिक रंगों से सजाते हैं, और लोग सड़कों पर रंगों से खेलते हैं. शिग्मो को दो भागों में बांटा गया है: ‘धकतो शिग्मो’ (छोटा शिग्मो) और ‘वाडलो शिग्मो’ (बड़ा शिग्मो). गांवों में छोटे शिग्मो मनाए जाते हैं, जबकि शहरों में बड़े शिग्मो की धूम होती है.
होली का त्योहार न केवल रंगों और खुशियों का त्योहार है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं को भी दर्शाता है. हर राज्य की अपनी एक विशेषता है, जो इस त्योहार को और भी रंगीन और रोमांचक बनाती है.