‘लोकपाल’, ‘अनुच्छेद 370’ के बाद अब ‘वक्फ बिल’… एक ही दिन में 14 घंटे तक हुई बहस, लोकसभा में बना नया रिकॉर्ड!
लोकसभा की तस्वीर
Waqf Bill: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में है. ये बिल वक्फ बोर्ड के नियमों में बदलाव लाने के लिए बनाया गया है, जो मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों—जैसे मस्जिद, कब्रिस्तान, या दान की जमीन को संभालता है. 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में इस बिल पर 14 घंटे से ज्यादा की जोरदार बहस हुई, जो सुबह से शुरू होकर रात 2 बजे तक चली. आखिरकार यह बिल लोकसभा में पास हो गया. अब ये बिल 3 अप्रैल 2025 को राज्यसभा में पेश होने वाला है. लेकिन गुरुवार को लोकसभा में 14 घंटे की मैराथन बहस ने सबका ध्यान खींचा है. सवाल ये है कि क्या भारतीय संसद में पहले कभी इतनी लंबी बहस हुई थी? आइए इतिहास में गोता लगाते हुए इसे विस्तार से समझते हैं.
भारतीय संसद में लंबी बहसों का इतिहास
लोकसभा और राज्यसभा में लंबी बहसें कोई नई बात नहीं हैं. खासकर जब बात बड़े कानूनों या राष्ट्रीय मुद्दों की हो, तो सांसद अपनी बात रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते. लेकिन एक ही दिन में 14 घंटे तक बहस? ये वाकई असाधारण है.
लोकपाल बिल (2011): भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल बिल एक बड़ा मुद्दा था. 29 दिसंबर 2011 को राज्यसभा में इस पर बहस शुरू हुई और रात 12 बजे के बाद तक चली. कुल मिलाकर करीब 12-13 घंटे की चर्चा हुई. इस दौरान हंगामा भी खूब हुआ. आरजेडी सांसद राजनिति प्रसाद ने बिल की कॉपी तक फाड़ दी थी. लेकिन ये 14 घंटे की सीमा को पार नहीं कर पाई.
3 अगस्त 1991– आर्थिक सुधारों पर बहस
3 अगस्त 1991 को भारतीय संसद में हुई बहस देश के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक क्षण थी. सुबह 10:00 बजे शुरू होकर रात 11:30 बजे तक चली इस 13.5 घंटे की लंबी चर्चा में आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीतियों पर गहन विचार-विमर्श हुआ. उस समय भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, जिसमें विदेशी मुद्रा भंडार बेहद कम हो गए थे. वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इन सुधारों को पेश करते हुए भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ने और नियंत्रित अर्थव्यवस्था से बाजार आधारित व्यवस्था की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया.
अनुच्छेद 370 हटाने पर बहस
5 अगस्त 2019 को संसद में एक और ऐतिहासिक बहस हुई, जो सुबह 11:00 बजे शुरू होकर अगली सुबह 12:26 बजे तक लगभग 13.5 घंटे तक चली. इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसके तहत इस राज्य को विशेष दर्जा देने वाली संवैधानिक व्यवस्था समाप्त की गई. इस बहस में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने पर भी चर्चा हुई.
GST बिल (2017): माल और सेवा कर (GST) को लागू करने के लिए 30 जून 2017 को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया. दोनों सदनों में चर्चा हुई और सत्र मध्यरात्रि तक चला. कुल समय, लगभग 12 घंटे. ये भी वक्फ बिल की लंबाई से थोड़ा कम रहा. इस सत्र को लोग आज भी याद करते हैं, क्योंकि ये भारत की टैक्स व्यवस्था में क्रांति लेकर आया.
संविधान सभा की बहसें (1946-1949): जब भारत का संविधान बन रहा था, तब संविधान सभा में कई बार लंबे सत्र चले. मिसाल के तौर पर, अनुच्छेद 370 (जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा) पर चर्चा कई दिनों तक चली. लेकिन एक ही दिन में 14 घंटे तक बहस का कोई साफ रिकॉर्ड नहीं मिलता. उस दौर में बहसें गहरी होती थीं, पर ज्यादातर कई दिनों में बंटी होती थीं.
महिला आरक्षण बिल (2023): सितंबर 2023 में लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर करीब 7-8 घंटे की बहस हुई. ये बिल महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में 33% आरक्षण देने के लिए था. बहस जोरदार थी, लेकिन समय के लिहाज से ये वक्फ बिल से काफी पीछे रही.
1975 में आपातकाल के दौरान भी संसद में लंबी चर्चाएं हुईं, लेकिन ज्यादातर सत्र कई दिनों तक फैले थे. एक दिन में 14 घंटे की बहस का कोई ठोस सबूत नहीं मिलता.
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वक्फ बिल की बहस क्यों है खास
अब सवाल ये है कि वक्फ बिल की 14 घंटे की बहस को इतिहास में कहां रखा जाए? देखा जाए तो ये भारतीय संसद के आधुनिक इतिहास में एक ही दिन की सबसे लंबी बहस हो सकती है. इसके पीछे कई कारण हैं.
सुबह से रात 2 बजे तक, 14 घंटे से ज्यादा सांसदों का लगातार बहस करना अपने आप में हैरानी की बात है. आमतौर पर सत्र शाम 6-7 बजे तक खत्म हो जाते हैं, लेकिन यहां रात गहराने तक चर्चा चलती रही. वहीं, वक्फ बिल धार्मिक और सामाजिक मुद्दों से जुड़ा था. विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला बताया, जबकि सरकार ने इसे सुधार का कदम कहा. इस वजह से बहस में जोश और तनाव दोनों थे. बहस के दौरान कई बार हंगामा हुआ. सांसदों ने नारेबाजी की, टेबलें पीटीं, और अपनी बात को जोर-शोर से रखा. ये सबने मिलकर सत्र को लंबा खींच दिया.
क्या ये रिकॉर्ड है?
हां, ऐसा लगता है कि वक्फ बिल की बहस ने एक नया रिकॉर्ड बनाया. पुराने रिकॉर्ड्स में एक दिन में 14 घंटे से ज्यादा की बहस का जिक्र नहीं मिलता. GST और लोकपाल जैसे सत्र 12-13 घंटे तक चले, लेकिन वक्फ बिल ने उस सीमा को पार कर दिया. हालांकि, प्राचीन डेटा की कमी के कारण इसे 100% निश्चित कहना मुश्किल है. फिर भी, आधुनिक समय में ये निश्चित रूप से सबसे लंबी एकल सत्र बहसों में से एक है.
वक्फ बिल की 14 घंटे की बहस सिर्फ एक कानून की कहानी नहीं है. ये दिखाती है कि भारत की संसद कितनी जीवंत और सक्रिय है. जब कोई मुद्दा बड़ा होता है, तो सांसद दिन-रात मेहनत करने को तैयार रहते हैं. ये घटना आने वाले सालों तक याद की जाएगी, क्योंकि इसने समय और जुनून दोनों के मामले में एक नई मिसाल कायम की.