पहले राणा, अब पासिया…ऐसे ही नहीं देश के ‘बेलगाम’ दुश्मनों पर अमेरिका में लग रहा ‘लगाम’, समझिए भारत की कूटनीति

पन्नू जैसे खालिस्तानी समर्थक अमेरिका से भारत-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं. ट्रंप की नीति से अमेरिका में ऐसे संगठनों की फंडिंग, गतिविधियों और सुरक्षित ठिकानों पर नकेल पड़ सकती है. हैप्पी पासिया की गिरफ्तारी से खालिस्तानी नेटवर्क में डर का माहौल बन सकता है, क्योंकि अमेरिका अब ऐसे तत्वों को शरण देने से हिचक सकता है.
Donald Trump, PM Modi

पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप

Happy Passia: अमेरिका में हाल ही में भारत के मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया को हिरासत में लिया गया है. यह गिरफ्तारी यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) ने की. भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने इस आतंकी पर 5 लाख रुपये का इनाम रखा था, क्योंकि यह पंजाब में 14 आतंकी हमलों का आरोपी है. दूसरी तरफ, खालिस्तानी समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू भी अमेरिका में सक्रिय है और भारत उसका प्रत्यर्पण चाहता है. इस बीच, डोनाल्ड ट्रंप का हालिया एक्स पोस्ट, जिसमें उन्होंने ‘अपराधियों और अवैध आप्रवासियों’ को देश से निकालने की बात कही, भारत के लिए अहम हो सकता है.

ट्रंप के ट्वीट में क्या है खास?

ट्रंप ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि वह अमेरिका में मौजूद ‘हत्यारों और अपराधियों’ को बाहर निकालेंगे, क्योंकि यही उनका चुनावी वादा था. भारत लंबे समय से तहव्वुर राणा, पन्नू और अन्य आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है. पहले तहव्वुर राणा और फिर हैप्पी पासिया की गिरफ्तारी से लगता है कि ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियां भारत के दुश्मनों पर शिकंजा कस सकती हैं. भारत चाहता है कि अमेरिका इन आतंकियों को सौंपे, ताकि उन्हें भारतीय अदालतों में सजा दी जा सके.

खालिस्तानी नेटवर्क पर दबाव

पन्नू जैसे खालिस्तानी समर्थक अमेरिका से भारत-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं. ट्रंप की नीति से अमेरिका में ऐसे संगठनों की फंडिंग, गतिविधियों और सुरक्षित ठिकानों पर नकेल पड़ सकती है. हैप्पी पासिया की गिरफ्तारी से खालिस्तानी नेटवर्क में डर का माहौल बन सकता है, क्योंकि अमेरिका अब ऐसे तत्वों को शरण देने से हिचक सकता है. इससे भारत में खालिस्तान से जुड़ी आतंकी गतिविधियों को कमजोर करने में मदद मिलेगी.

भारत-अमेरिका आतंकवाद-विरोधी सहयोग में मजबूती

ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) में भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद-विरोधी सहयोग मजबूत हुआ था. उनके एक्स पोस्ट से संकेत मिलता है कि उनकी नई सरकार भी इस दिशा में सख्त कदम उठा सकती है. अगर अमेरिका भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों को प्रत्यर्पित करता है, तो दोनों देशों के बीच भरोसा और सहयोग बढ़ेगा. यह भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत होगी, क्योंकि आतंकियों को सजा दिलाने में अमेरिका की मदद अहम होगी.

क्या है भारत की मांग?

भारत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद पहला पत्र लिखा था, जबकि कांग्रेस सरकार ने 2008 के मुंबई हमले के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया. अब पन्नू और अन्य खालिस्तानी आतंकियों के मामले में भी भारत दबाव बना रहा है. पन्नू पर भारत-विरोधी गतिविधियों और सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठनों के जरिए आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप है.

क्या होगा असर?

हैप्पी पासिया की गिरफ्तारी भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी जीत है. अगर ट्रंप की सख्त आप्रवासन नीतियां लागू होती हैं, तो पन्नू जैसे आतंकियों का प्रत्यर्पण भी संभव हो सकता है. इससे भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग और मजबूत होगा. हालांकि, कुछ लोग मानते हैं कि अमेरिका पन्नू जैसे तत्वों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है, जैसा कि कनाडा ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के साथ किया.

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