चीन हो या पाकिस्तान…भारत के दुश्मन देशों में बार-बार हिल रही है धरती, क्या लैब में बैठकर लाया जा सकता है भूकंप?
भूकंप ( सोर्स- AI)
Seismic Weapon Theory: क्या आपने कभी सोचा कि लैब में बैठकर भूकंप पैदा किया जा सकता है? जी हां, आजकल एक ऐसी थ्योरी चर्चा में है, जिसके मुताबिक, भूकंप को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. पाकिस्तान, चीन और कुछ अन्य एशियाई देशों में बार-बार भूकंप के झटके आ रहे हैं. गौर करने वाली बात यह है कि ये सभी देश भारत के खिलाफ हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ये भूकंप प्राकृतिक हैं या इसके पीछे कोई साजिश? इन सवालों के बीच ‘सिस्मिक वेपन थ्योरी’ सिर उठाने लगी है. आइए, इस ‘सिस्मिक वेपन थ्योरी’ को आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं.
सिस्मिक वेपन थ्योरी क्या है?
आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि भूकंप को कोई अपने दुश्मन के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन ‘सिस्मिक वेपन थ्योरी’ यही कहती है. इस थ्योरी के मुताबिक, वैज्ञानिक और सैन्य संगठन ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिससे धरती की गहराइयों में हलचल पैदा करके कृत्रिम भूकंप लाया जा सके. यह थ्योरी सबसे ज्यादा चर्चा में तब आई, जब अमेरिका ने अपने हार्प (HAARP) प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी.
हार्प प्रोजेक्ट: आसमान में छेड़छाड़?
1993 में अमेरिका ने अलास्का में हाई फ्रीक्वेंसी एक्टिव ऑरोरल रिसर्च प्रोग्राम (HAARP) शुरू किया. इसका मकसद था आसमान के ऊपरी हिस्से, यानी आयनोस्फियर को समझना, जो सैटेलाइट और रेडियो सिग्नल के लिए बहुत जरूरी है. लेकिन जैसे ही पता चला कि इसमें अमेरिकी सेना और डिफेंस एजेंसी की फंडिंग है, लोगों को शक होने लगा. कुछ लोगों ने कहा कि हार्प की मदद से भूकंप पैदा किए जा सकते हैं. 2010 में हैती में आए भूकंप के बाद वहां के नेता ने तो सीधे अमेरिका पर इल्जाम लगा दिया कि ये उनकी साजिश थी. ईरान और वेनेजुएला ने भी ऐसे ही आरोप लगाए. लेकिन क्या ये सचमुच मुमकिन है?
क्या भूकंप लाना इतना आसान है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि हाई-पावर रेडियो वेव्स या धरती में गहरी खुदाई करके टेक्टॉनिक प्लेट्स में हलचल पैदा की जा सकती है. अगर धरती की कमजोर जगहों, यानी फॉल्ट लाइन्स को निशाना बनाया जाए, तो छोटे-मोटे कंपन पैदा करना संभव है. लेकिन एक बड़ा भूकंप लाना? वो अभी इंसान के बस की बात नहीं है. फिर भी, अमेरिका और रूस जैसे देशों ने मौसम और प्रकृति को हथियार बनाने की कोशिश जरूर की है.
क्यों उठ रहे हैं सवाल?
पाकिस्तान के बलूचिस्तान और चीन के शिनजियांग जैसे इलाकों में हाल के भूकंपों ने लोगों का ध्यान खींचा है. ये दोनों ही इलाके रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील हैं. बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं, और शिनजियांग में मानवाधिकारों को लेकर विवाद हैं. ऐसे में कुछ लोग मजाक में ही सही, इन भूकंपों को सिस्मिक हथियार से जोड़कर देख रहे हैं. लेकिन सच्चाई क्या है? क्या ये सिर्फ प्रकृति का खेल है?
भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल और अफगानिस्तान- ये सभी देश हिमालयन टेक्टॉनिक बेल्ट में आते हैं. यहां दो बड़ी टेक्टॉनिक प्लेट्स, इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट आपस में टकरा रही हैं. यही टक्कर हिमालय पर्वत को जन्म दे चुकी है, और यही बार-बार भूकंप की वजह भी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार छोटे-छोटे झटके कभी-कभी बड़े भूकंप का संकेत हो सकते हैं. तो क्या हमें तैयार रहना चाहिए?
क्या मौसम को भी हथियार बनाया जा सकता है?
सिर्फ भूकंप ही नहीं, मौसम को भी हथियार बनाने की कोशिश हो चुकी है. 1977 में ENMOD ट्रीटी के तहत दुनियाभर के देशों ने शपथ ली कि वे मौसम को युद्ध में हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं करेंगे. लेकिन इतिहास में ऐसे उदाहरण हैं. वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने ऑपरेशन पोपोए के तहत भारी बारिश करवाई, ताकि दुश्मन की सेना दलदल में फंस जाए. इसके अलावा, तूफानों की दिशा बदलने और ओलावृष्टि रोकने की तकनीकों पर भी काम हुआ है.
‘सिस्मिक वेपन थ्योरी’ सुनने में जितनी रोमांचक है, उतनी ही विवादास्पद भी. अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला कि कोई देश बड़ा भूकंप पैदा कर सकता है. लेकिन छोटे-मोटे कंपन पैदा करने की तकनीक जरूर मौजूद है. फिर भी, हिमालय क्षेत्र में बार-बार भूकंप आना ज्यादातर प्रकृति का खेल ही है. लेकिन सवाल तो बनता है कि क्या भविष्य में इंसान प्रकृति को पूरी तरह अपने काबू में कर लेगा?