न लॉकडाउन, न दवाओं की किल्लत और न ही बेड की मारामारी…कोरोना के खिलाफ जंग में भारत सब पर भारी!

स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण और पहले के संक्रमणों की वजह से भारत की जनता में इम्यूनिटी इतनी मजबूत हो चुकी है कि नए वेरिएंट भी ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकते. फिर भी, सरकार सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में बढ़ते मामलों को देखते हुए पूरी तरह अलर्ट है.
COVID-19 New Wave

कोरोना वायरस

COVID-19 New Wave: दुनिया के कुछ कोनों में कोरोना वायरस फिर से सिर उठा रहा है, लेकिन भारत में डर की कोई जगह नहीं. पिछली बार की चुनौतियों से सबक लेते हुए भारत ने अपनी कमर इतनी मजबूत कर ली है कि चाहे कोरोना का कितना भी बड़ा वेव आए, लॉकडाउन का सवाल ही नहीं उठता. वैक्सीन उत्पादन से लेकर दवाइयों की सप्लाई तक, भारत आज दुनिया का ‘हेल्थ हीरो’ बन चुका है. आइए, इस बार की तैयारियों और कोरोना के खिलाफ भारत की ताकत को विस्तार से जानते हैं.

चिंता कम, सतर्कता ज्यादा

हाल के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोविड-19 के मामले पूरी तरह नियंत्रण में हैं. मई 2025 तक देश में सिर्फ 257 हल्के मामले दर्ज किए गए हैं, और सबसे अच्छी बात? कोई भी मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण और पहले के संक्रमणों की वजह से भारत की जनता में इम्यूनिटी इतनी मजबूत हो चुकी है कि नए वेरिएंट भी ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकते. फिर भी, सरकार सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में बढ़ते मामलों को देखते हुए पूरी तरह अलर्ट है.

उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मॉक ड्रिल्स शुरू हो चुकी हैं, खासकर अयोध्या जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों में. मेडिकल टीमें तैयार हैं और अस्पतालों में ऑक्सीजन, दवाइयां और एम्बुलेंस का इंतजाम पहले से पुख्ता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की अगुवाई में हाल ही में हुई एक हाई-लेवल मीटिंग में आपात स्थिति के लिए हर जरूरी कदम की समीक्षा की गई.

इस बार ओमिक्रॉन का JN.1 वैरिएंट और इसके सब-वैरिएंट्स LF.7 और NB.1.8 जिम्मेदार हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने JN.1 को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ बताया है. ये वैरिएंट तेजी से फैलता है, लेकिन राहत की बात है कि ये पहले जितना खतर.नाक नहीं. ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण जैसे बुखार, खांसी, गले में खराश और थकान दिख रहे हैं. अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम ही आ रही है.

भारत है दुनिया का ‘वैक्सीन वीर’

पिछली बार जब कोरोना ने दस्तक दी थी, भारत ने न सिर्फ अपने लिए वैक्सीन बनाई, बल्कि दुनिया को भी राह दिखाई. आज भारत वैश्विक वैक्सीन मांग का 50% से ज्यादा पूरा करता है. कोविशील्ड और कोवैक्सिन जैसे टीकों ने न सिर्फ भारत में करोड़ों लोगों को सुरक्षित किया, बल्कि दुनिया के कई देशों में भी जान बचाई. 2025 तक भारत ने 220 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज़ दी हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. भारत सरकार ने वैक्सीनेशन को और तेज करने के लिए डिजिटल पोर्टल्स और जागरूकता अभियान चलाए. नए वेरिएंट्स पर रिसर्च भी लगातार जारी है, ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत नई वैक्सीन तैयार की जा सके.

भारत है ‘फार्मा पावरहाउस’

भारत को दुनिया की ‘फार्मेसी’ यूं ही नहीं कहा जाता. जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर भारत ही है, जो वैश्विक मांग का 20% पूरा करता है. कोरोना की दवाइयों से लेकर जरूरी मेडिकल उपकरणों तक, भारत ने हर मोर्चे पर अपनी ताकत दिखाई है. 500 से ज्यादा एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (API) का उत्पादन भारत में होता है, जो वैश्विक बाजार में 8% हिस्सा रखता है.

सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम ने दवा उद्योग को और मजबूत किया है. आपात स्थिति के लिए दवाइयों, ऑक्सीजन और ट्रॉमा केयर किट्स की सप्लाई का इंतजाम पहले से ही कर लिया गया है. चाहे एम्स जैसे बड़े अस्पताल हों या सीमावर्ती इलाकों के छोटे हेल्थ सेंटर, हर जगह जरूरी संसाधन तैयार हैं.

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पिछली बार चर्चा में रहीं कोरोना की ये दवाइयां

कोरोना की पिछली लहरों के दौरान कई दवाइयां सुर्खियों में रहीं, जिन्होंने इलाज में अहम भूमिका निभाई. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) और आइवरमेक्टिन शुरुआती दिनों में काफी चर्चा में रहीं, हालांकि बाद में इनके इस्तेमाल पर बहस भी हुई. रेमडेसिविर को गंभीर मरीजों के लिए अस्पतालों में खूब इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा, डेक्सामेथासोन जैसे स्टेरॉयड्स ने ऑक्सीजन लेवल कम होने वाले मरीजों की जान बचाई. फेविपिराविर और मोलनुपिराविर जैसी एंटी-वायरल दवाइयां भी हल्के लक्षणों वाले मरीजों के लिए कारगर रहीं. भारत ने इन दवाइयों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और सप्लाई कर दुनिया को हैरान कर दिया, जिसने उसे ‘फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’ का खिताब दिलाया.

लॉकडाउन अब पुरानी बात!

पिछली बार लॉकडाउन ने हमें सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व सिखाया, लेकिन इस बार भारत उस रास्ते पर नहीं जाएगा. सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त लॉकडाउन की जरूरत नहीं, क्योंकि भारत अब पहले से कहीं ज्यादा तैयार है. मास्क, सैनिटाइजर, और साफ-सफाई जैसे बेसिक नियमों को अपनाकर ही हम कोरोना को मात दे सकते हैं. युवा स्वयंसेवकों और एनजीओ ने भी इस जंग में बड़ा रोल निभाया है. होममेड मास्क बनाने से लेकर जागरूकता फैलाने तक, भारत की जनता ने दिखा दिया है कि एकजुटता में कितनी ताकत है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना को हल्के में न लें, लेकिन डरें भी नहीं. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें, हाथ धोते रहें और अगर बुखार या सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत टेस्ट कराएं. भारत सरकार और राज्य सरकारें लगातार स्थिति पर नजर रख रही हैं और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. कोरोना ने पूरी दुनिया को चुनौती दी, लेकिन भारत ने हर बार उसका डटकर मुकाबला किया. वैक्सीन, दवाइयां और मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था के दम पर भारत आज न सिर्फ अपने लोगों को सुरक्षित रख रहा है, बल्कि दुनिया को भी राह दिखा रहा है.

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