अच्छा तो इसलिए भारत-पाक सीजफायर का क्रेडिट ले रहे थे ट्रंप, सामने आ गई सच्चाई, अमेरिकी कोर्ट ने कर दिया बेनकाब!

ट्रंप ने कई बार कहा कि उनकी सख्त ट्रेड नीतियों ने भारत और पाकिस्तान को शांति समझौते के लिए मजबूर किया. वह दावा करते थे कि अगर उन्होंने दोनों देशों पर ट्रेड बंद करने की धमकी न दी होती, तो शायद आज दुनिया परमाणु युद्ध की आग में जल रही होती.
India Pakistan Tension

ट्रंप की किरकिरी

India Pakistan Tension: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को धो डाला. 6-7 मई की रात भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) चलाकर पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को 23 मिनट में नेस्तनाबूद कर दिया. ये ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि भारत की नई नीति का ऐलान था कि आतंक को अब बर्दाश्त नहीं, जवाब होगा और वो भी करारा.

भारत की कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा. हालांकि, बाद में पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए. दोनों देशों ने सीजफायर पर सहमति जताई. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को अपनी जीत बताने लगे. ट्रंप बार-बार दावा करते रहे कि उनकी ट्रेड नीतियों की वजह से दोनों देश परमाणु युद्ध के कगार से वापस लौटे. लेकिन अब सच सामने आ गया है. अमेरिकी कोर्ट ने ट्रंप की इस बड़बोली बात को खारिज करते हुए उनकी ट्रेड नीतियों पर ही सवाल उठा दिए. आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की असल कहानी.

मैंने रोका युद्ध- ट्रंप

ट्रंप ने कई बार कहा कि उनकी सख्त ट्रेड नीतियों ने भारत और पाकिस्तान को शांति समझौते के लिए मजबूर किया. ट्रंप ने दावा किया था कि अगर उन्होंने दोनों देशों पर ट्रेड बंद करने की धमकी न दी होती, तो शायद आज दुनिया परमाणु युद्ध की आग में जल रही होती. ट्रंप का कहना था, “मेरी नीतियों ने दुनिया को बचा लिया.” लेकिन भारत ने शुरू में ही उनके इस दावे को खारिज कर दिया था. फिर भी ट्रंप अपनी डफली, अपना राग अलापते रहे.

ट्रंप के दावों की निकली हवा

अब अमेरिका की कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने ट्रंप के दावों की हवा निकाल दी. कोर्ट ने साफ कहा कि ट्रंप ने आपातकालीन कानूनों का गलत इस्तेमाल करके कई देशों पर मनमाने ढंग से ट्रेड टैरिफ थोप दिए. ये टैरिफ संविधान के खिलाफ थे. ट्रंप ने कोर्ट में दलील दी थी कि उनकी नीतियों ने भारत-पाकिस्तान के बीच शांति कायम की. लेकिन कोर्ट ने उनकी बात को सिरे से खारिज कर दिया और टैरिफ पर रोक लगा दी.

असल मकसद था कुछ और?

तो फिर ट्रंप बार-बार भारत-पाक सीजफायर का क्रेडिट क्यों ले रहे थे? दरअसल, यह सब उनकी एक चाल थी. ट्रंप अपनी ट्रेड नीतियों को अमेरिकी कोर्ट में सही साबित करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने भारत-पाक शांति जैसे बड़े मुद्दे को हथियार बनाया. वह चाहते थे कि उनकी नीतियां दुनिया के लिए जरूरी दिखें. लेकिन कोर्ट ने उनके इस खेल को पकड़ लिया और साफ कर दिया कि भारत-पाक शांति में अमेरिका का रोल उतना बड़ा नहीं था, जितना ट्रंप बता रहे थे.

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भारत-पाक शांति की असल कहानी

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की प्रक्रिया में दोनों देशों की अपनी कूटनीतिक कोशिशें थीं. भारत ने हमेशा कहा कि यह मामला द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे देश की जरूरत नहीं. ट्रंप के दावों को भारत ने पहले ही नकार दिया था, और अब अमेरिकी कोर्ट के फैसले ने भी इस बात पर मुहर लगा दी.

ट्रंप की किरकिरी

इस पूरे मामले में ट्रंप की खूब फजीहत हुई है. उनकी चाल नाकाम रही और अब दुनिया के सामने यह साफ हो गया कि भारत-पाक सीजफायर का क्रेडिट लेना सिर्फ उनकी एक कानूनी रणनीति थी. कोर्ट के फैसले ने न सिर्फ उनकी ट्रेड नीतियों पर सवाल उठाए, बल्कि उनके बड़े-बड़े दावों को भी बेनकाब कर दिया.

बताते चलें कि पिछले कुछ हफ्तों में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ने सारी दुनिया का ध्यान खींचा है. बात शुरू हुई 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए खौफनाक आतंकी हमले से, जिसमें 26 मासूमों की जान चली गई. भारत ने इस बार चुप्पी नहीं साधी और पाकिस्तान को सबक सिखा दिया.

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