5 साल के मासूम के साथ अमानवीय व्यवहार! BJP नेता गौरव तिवारी की शिकायत पर NHRC का सख्त एक्शन, MP सरकार को नोटिस
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Rewa News: मध्य प्रदेश के रीवा जिला स्थित ज्योति स्कूल में 5 साल के छात्र के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था. इस मामले को लेकर BJP नेता गौरव तिवारी ने शिकायत दर्ज कराई थी. उनकी शिकायत के आधार पर पूरा मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सामने पेश हुआ. आयोग ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही 50,000 मुआवजे की अनुशंसा प्रस्तावित की है.
NHRC का सख्त एक्शन
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्य प्रदेश के रीवा शहर में ज्योति किंडरगार्टन स्कूल में 5 साल के एक बच्चे के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के मामले को गंभीरता से लिया है. आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को मुख्य सचिव के जरिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. यह मामला BJP नेता गौरव तिवारी की शिकायत से सामने आया था. इसमें बताया गया था कि 18 जनवरी 2025 को एक 5 साल का बच्चा कक्षा में अस्वस्थ होने के कारण खुद को गंदा कर बैठा. इसके बाद स्कूल की अटेंडेंट विद्यावती ने कथित तौर पर उसे अपने ही कपड़ों से जबरन सफाई करने को मजबूर किया और गीले कपड़ों में ही छोड़ दिया. इससे बच्चा बीमार हो गया था. इस घटना से स्कूल के अन्य बच्चों और अभिभावकों में डर का माहौल बन गया.
जांच में हुआ खुलासा
- स्कूल के प्राचार्य ने घटना की पुष्टि की.
- जिला शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर अटेंडेंट विद्यावती को नौकरी से हटा दिया गया और कक्षा शिक्षिका को 6 महीने के लिए निलंबित कर दिया गया.
- रीवा के थाना विश्वविद्यालय में FIR नंबर 03/2025 दर्ज की गई, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 238 BNS और जेजे अधिनियम की धारा 75 के तहत मामला दर्ज हुआ.
आयोग का कड़ा रुख
NHRC ने कहा कि यह घटना न सिर्फ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का मामला है, बल्कि बच्चे के बुनियादी और कानूनी अधिकारों का भी उल्लंघन है. शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम की धारा 17 के तहत बच्चों पर किसी भी तरह का शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न पूरी तरह प्रतिबंधित है. चूंकि यह निजी स्कूल राज्य सरकार के नियमन में आता है इसलिए इस लापरवाही की जिम्मेदारी राज्य पर भी है.
MP सरकार को कारण बताओ नोटिस
- मध्य प्रदेश सरकार में मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर पूछा गया है कि पीड़ित बच्चे मास्टर यशित उपाध्याय को 50,000 रुपए का मुआवजा देने की सिफारिश क्यों न की जाए.
- रीवा के पुलिस अधीक्षक को 4 हफ्तों में FIR 03/2025 की जांच की ताजा रिपोर्ट आयोग को भेजने का निर्देश दिया गया है.