“डायलॉग और डिप्लोमेसी से निकालें हल…”, मिडिल ईस्ट में शांति के लिए PM मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति से की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजशकियान से फोन पर बात की
Israel-Iran War: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे भयंकर युद्ध के बीच, भारत ने शांति की अहम पहल की है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजशकियान से फोन पर बात की है. इस बातचीत का मकसद दोनों देशों के बीच जारी तनाव को कम करना और क्षेत्र में स्थिरता लाना है.
क्या हुई बातचीत?
पीएम मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति के साथ मौजूदा हालात पर लंबी चर्चा की और हालिया तनाव पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अब समय आ गया है कि इस तनाव को तुरंत कम किया जाए. पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है. उन्होंने अपने ट्वीट में भी यही बात दोहराई, “ईरान के राष्ट्रपति @drpezeshkian से बात की. हमने मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की. हालिया तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की. तत्काल तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय शांति की शीघ्र बहाली के लिए हमारे आह्वान को दोहराया.”
10 दिन से जारी है युद्ध
इजरायल और ईरान के बीच यह जंग आज 10वें दिन में प्रवेश कर चुकी है. इन 10 दिनों में दोनों देशों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा. इस संघर्ष ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाओं को भी बढ़ा दिया है. फिलहाल, युद्धविराम की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है और यह तनाव पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा बन गया है.
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कौन किसका दे रहा साथ?
इस युद्ध में अमेरिका खुलकर इजरायल का साथ दे रहा है, जिसे ईरान भड़काने वाली कार्रवाई मान रहा है और इजरायल पर हमले तेज कर रहा है. बदले में, इजरायल भी ईरान पर मिसाइलों की जबरदस्त बारिश कर रहा है. इस खूनी जंग में अब तक 600 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जिनमें से ज़्यादातर मौतें ईरान में हुई हैं.
दोनों देशों ने एक-दूसरे के अहम ठिकानों को निशाना बनाया है. इजरायल ने ईरान के सरकारी टीवी चैनल IRINN और रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पर हमले किए, जिसमें कई लोग घायल हुए. जवाब में ईरान ने इजरायल के अस्पताल और स्टॉक एक्सचेंज को निशाना बनाया. इस हमले में तेल अवीव में अमेरिकी दूतावास की इमारत को भी नुकसान पहुंचा. इस युद्ध का असर सिर्फ जान-माल पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी दिख रहा है. कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया है.
कैसे शुरू हुआ यह संघर्ष?
इजरायल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता रहा है. इजरायल का मानना है कि ईरान हथियार-ग्रेड यूरेनियम जमा कर रहा है. 13 जून, 2025 की सुबह, इजरायल ने ईरान पर हमले किए. इजरायली सेना ने बताया कि उन्होंने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है, क्योंकि ये उनकी सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा थे. इसके बाद ईरान ने भी पलटवार किया और तब से दोनों देशों के बीच यह जंग जारी है. इस बीच, अमेरिका ने भी ईरान को धमकी दी और उसके परमाणु ठिकानों को तबाह किया है.