रावतपुरा सरकार ने बामौरा में कन्या छात्रावास का किया लोकार्पण, सागर में श्री सद्गुरु प्राकट्य महोत्सव की हुई शुरुआत

Sagar: सागर के बामौरा में 1.25 करोड़ रुपए की लागत से बने महाराणा प्रताप सामुदायिक कन्या छात्रावास का श्री परम पूज्य रविशंकर महाराज रावतपुरा सरकार के द्वारा लोकार्पण किया गया.
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Sagar: सागर के बामौरा में 1.25 करोड़ रुपए की लागत से बने महाराणा प्रताप सामुदायिक कन्या छात्रावास का श्री परम पूज्य रविशंकर महाराज रावतपुरा सरकार के द्वारा लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत रविवार की दोपहर एक बजे से की गई.

रावतपुरा सरकार ने कन्या छात्रावास का किया लोकार्पण

जहां इस कार्यक्रम मे छत्रिय समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित थे. जिसमे खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कन्या छात्रावास को गरीब कन्याओं के लिए बनाया गया है. अभी प्रथम तल तैयार हुआ है. आने वाले समय मे इसका और भी विस्तार किया जाएगा.

दरअसल समाज की बेटियों की शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए इस कन्या छात्रावास को महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. छत्रिय समाज के द्वारा इस निर्माण कार्यों कराया गया. जहां आज बामौरा मे इसका लोकार्पण किया गया. जिसमे जिले के तमाम जनप्रतिनिधि और मौजूद.

श्री सद्गुरु प्राकट्य महोत्सव का शुभारंभ

सागर के श्री रावतपुरा सरकार आश्रम में सात दिवसीय श्री सद्गुरु प्राकट्य महोत्सव के प्रथम दिन प्रातःकालीन बेला में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ की कलश स्थापना के साथ शुभारंभ हुआ, प्रार्थना सभा के पश्चात श्रीमदभागवत कथा की दिव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया.

कथा व्यास श्री श्याम जी महाराज की ओजमयी वाणी में भगवत भक्ति की अप्रतिम ज्ञान गंगा ने आत्मिक चेतना का संदेश श्रद्धालुओं को मिला. सायंकालीन प्रार्थना सभा में दिव्य मंत्रों से गुंजायमान आश्रम परिक्षेत्र सनातनी संस्कृति के ध्वजवाहक के रुप में नज़र आया. सांस्कृतिक संध्या में रागी फाउंडेशन सागर के द्वारा भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई.

श्री रविशंकर जी महाराज ने दिया संदेश

श्री रविशंकर जी महाराज “रावतपुरा सरकार” ने आशीर्वाचन के माध्यम से संदेश देते हुए कहा कि एक विचार ही समाज के निर्माण का आधार है. इसलिए हमें सदपुरुषों के जीवन चरित्र को अपने जीवन में आत्मसात करके स्वयं के जीवन को सार्थक करने का प्रयास करना चाहिए. आपका जीवन ईश्वर का वरदान है. डॉ हरिसिंह गौर जी जिसका अप्रतिम उदाहरण हैं जिन्होंने शिक्षा का दीप जलाकर सागर के नाम को सार्थक किया जिसमे अनेक रत्नों का भंडार है जिससे आज भारत ही नहीं बल्कि पुरा विश्व आलोकित हो रहा है. यह पुण्य की भूमि है यह पुरुषार्थ की भूमि है, यह संकल्प से सिद्धि की भूमि है. हम डॉ गौर के चरणों में नमन करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनका अनुसरण कर हम भी इस समाज को कुछ अर्पित कर सके. इस महामहोत्सव की सांस्कृतिक संध्या में 30 जून को देश के जाने-माने सुप्रसिद्ध कवि अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे.

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