दुर्ग में बाढ़ जैसे हालात! उफान पर शिवनाथ नदी, हालातों को देखते हुए महापौर ने ली बैठक, दिए निर्देश
महापौर ने ली बैठक
CG News: दुर्ग जिले में पिछले चार दिनों से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है. लगातार वर्षा के चलते नदी-नाले उफान पर हैं, और शिवनाथ नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जिले के 20 से 30 इलाकों में जलभराव की गंभीर स्थिति बनी हुई है. कई घरों में पानी घुस चुका है, सड़कों ने नहरों का रूप ले लिया है और गली-मोहल्ले तालाब जैसे दिख रहे हैं. हालात की गंभीरता को देखते हुए भिलाई नगर निगम के महापौर नीरज पाल ने आपातकालीन बैठक बुलाई.
उफान पर शिवनाथ नदी, जन जीवन अस्त-व्यस्त
भिलाई, दुर्ग और रिसाली क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में दो से ढाई फीट तक पानी भर गया, जिससे लोगों को खासकर बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी हुई. हालात की गंभीरता को देखते हुए भिलाई नगर निगम के महापौर नीरज पाल ने आपातकालीन बैठक बुलाई. इस बैठक में निगम आयुक्त, भाजपा-कांग्रेस के सभी पार्षद व अधिकारी मौजूद रहे. लगभग दो घंटे चली इस बैठक में मुख्य रूप से नालियों पर अतिक्रमण को लेकर चर्चा की गई और निर्णय लिया गया कि नाली के ऊपर बने अवैध निर्माणों को तत्काल हटाया जाएगा.
महापौर ने ली बैठक, लिए कई निर्णय
महापौर नीरज पाल ने बताया कि चार दिन से हो रही बारिश ने पिछले 50 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कई वार्डों में पानी निकासी की व्यवस्था पूरी तरह फेल हो गई थी. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे स्वयं अपने अवैध निर्माण हटा लें, अन्यथा नगर निगम कार्रवाई करेगा।इधर कोसनाला में पानी की तेज बहाव के चलते पानी सप्लाई लाइन भी बह गई, जिससे हजारों घरों में जल आपूर्ति बंद हो गई है. वहीं स्वास्थ्य प्रभारी लक्ष्मीपति राजू ने बताया कि अस्पतालों द्वारा मेडिकल वेस्ट नालियों में डाला जा रहा है, जो बेहद गंभीर लापरवाही है, इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
उप नेता प्रतिपक्ष दया सिंह ने बारिश के बाद बने हालात के लिए पिछली सरकार की खामियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए.
जल कार्य मंत्री ने लगाए आरोप
जल कार्य मंत्री केशव चौबे ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया. उनका कहना है कि अधिकारी केवल कागजों में योजनाएं बनाते हैं, जबकि जमीन पर स्थिति कुछ और है। टाउनशिप से लेकर रेलवे पटरी तक जलभराव हो गया था, जो प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है।बारिश थमने के बाद अब हालात सामान्य करने के प्रयास तेज हो चुके हैं, लेकिन सवाल उठता है कि हर साल आने वाली इस आपदा से स्थायी समाधान कब मिलेगा?