शराब, सियासत और साजिश…3200 करोड़ के ‘दारू घोटाले’ में कैसे धराए YSRCP सांसद मिथुन रेड्डी?
मिथुन रेड्डी की गिरफ्तारी
Andhra Pradesh Liquor Scam: आंध्र प्रदेश में एक बार फिर सियासी तूफान खड़ा हो गया है. इस बार मामला है 3200 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले का, जिसमें YSRCP के दिग्गज सांसद पी.वी. मिथुन रेड्डी को विशेष जांच दल (SIT) ने हथकड़ी पहना दी. यह खबर इतनी सनसनीखेज है कि हर कोई जानना चाहता है कि आखिर हुआ क्या? आइये, इस ‘दारू ड्रामे’ की पूरी कहानी को आसान भाषा में विस्तार से बताते हैं.
कब हुआ घोटाला?
शराब नीति में गड़बड़झालाबात शुरू होती है 2019 से, जब YSRCP की सरकार ने आंध्र प्रदेश में नई शराब नीति लागू की. इस नीति के तहत शराब का कारोबार पूरी तरह से राज्य सरकार के नियंत्रण में आ गया. आंध्र प्रदेश स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (APSBCL) को शराब की खरीद-बिक्री की जिम्मेदारी दी गई. लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब इस नीति का इस्तेमाल कथित तौर पर गलत तरीके से होने लगा. SIT की जांच के मुताबिक, इस नीति में बड़े पैमाने पर हेरफेर हुआ. लोकप्रिय शराब ब्रांड्स को दुकानों से हटाकर कम मशहूर ब्रांड्स को बढ़ावा दिया गया. बदले में, हर महीने 50-60 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई. इतना ही नहीं, शराब के भुगतान सिस्टम को ऑटोमेटेड से मैनुअल कर दिया गया, जिससे हेराफेरी और आसान हो गई. इस पूरे खेल में सरकार को 3200 से 3500 करोड़ रुपये का चूना लग गया.
मिथुन रेड्डी का किरदार
इस घोटाले में YSRCP के सांसद मिथुन रेड्डी का नाम बतौर चौथा आरोपी (A4) सामने आया. राजमपेट लोकसभा सीट से तीन बार के सांसद और YSRCP के फ्लोर लीडर मिथुन इस घोटाले के ‘मास्टरमाइंड’ में से एक माने जा रहे हैं. SIT का दावा है कि मिथुन ने शराब नीति को तैयार करने और लागू करने में अहम भूमिका निभाई. उनके कहने पर ही कई कंपनियों को ठेके दिए गए और रिश्वत के पैसे शेल कंपनियों के जरिए इधर-उधर किए गए. SIT ने यह भी खुलासा किया कि मिथुन रेड्डी को कथित तौर पर एक थर्ड-पार्टी कंपनी से 5 करोड़ रुपये का फंड ट्रांसफर हुआ था, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा माना जा रहा है. इतना ही नहीं, जांच में सामने आया कि इस घोटाले की कमाई का इस्तेमाल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी किया गया.
कोर्ट से लेकर सड़क तक हंगामा
19 जुलाई 2025 को मिथुन रेड्डी को विजयवाड़ा में SIT ने करीब 7 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले, मिथुन ने अग्रिम जमानत के लिए आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन दोनों जगह उनकी याचिका खारिज हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उनकी जमानत अर्जी ठुकराते हुए कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. इसके बाद SIT ने तुरंत कार्रवाई की और उन्हें हिरासत में ले लिया.
मिथुन की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने पहले ही लुकआउट नोटिस जारी कर रखा था और उनकी तलाश में विशेष टीमें बनाई गई थीं. विजयवाड़ा एयरपोर्ट पर उनके पहुंचते ही भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. गिरफ्तारी के बाद उन्हें रविवार को स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया.
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यह सियासी बदला है- YSRCP
YSRCP ने इस गिरफ्तारी को ‘सियासी साजिश’ करार दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लादी विष्णु ने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की ओर से YSRCP नेताओं को निशाना बनाने की कोशिश है. पार्टी का दावा है कि उनकी सरकार में शराब नीति पूरी तरह पारदर्शी थी और उन्होंने अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए कई कदम उठाए थे. YSRCP नेताओं का कहना है कि नायडू खुद 2014-2019 के दौरान शराब नीति में गड़बड़ियां कर चुके हैं और अब ध्यान भटकाने के लिए YSRCP नेताओं को फंसाया जा रहा है.
YSRCP के एक अन्य नेता एल. अप्पी रेड्डी ने मिथुन का बचाव करते हुए कहा, “मिथुन एक सम्मानित राजनीतिक परिवार से हैं. उनकी जांच में शामिल होने की हिम्मत दिखाती है कि वह बेगुनाह हैं और कानून पर भरोसा करते हैं.”
घोटाले के अन्य किरदार
मिथुन रेड्डी इस मामले में अकेले नहीं हैं. SIT ने अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के आईटी सलाहकार कासीरेड्डी राजशेखर रेड्डी (A1) और अन्य लोग जैसे धनुंजय रेड्डी, कृष्णा मोहन रेड्डी और बालाजी गोविंदप्पा शामिल हैं. जांच में कई बड़े नाम सामने आए हैं, जिनमें पूर्व सांसद वी. विजय साई रेड्डी और कुछ नौकरशाह भी शामिल हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कार्रवाई कर रही है.
SIT ने अब तक 62 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है और 268 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं. जांच अभी भी जारी है और जल्द ही एक विस्तृत चार्जशीट दाखिल होने की उम्मीद है.
इस घोटाले का असर?
यह घोटाला न सिर्फ आंध्र प्रदेश की सियासत को हिला रहा है, बल्कि आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है. शराब की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और लोकप्रिय ब्रांड्स के गायब होने से लोगों को पहले ही परेशानी हो रही थी. अब इस घोटाले ने सरकार और नेताओं के प्रति जनता का भरोसा और कम कर दिया है. सोशल मीडिया पर लोग इस मामले को दिल्ली और छत्तीसगढ़ के शराब घोटालों से जोड़कर देख रहे हैं और इसे ‘दारू घोटाला’ का नया चैप्टर बता रहे हैं.
मिथुन रेड्डी की गिरफ्तारी इस घोटाले की जांच में एक बड़ा कदम है, लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई है. SIT का दावा है कि जांच के अगले चरण में और बड़े खुलासे होंगे. क्या यह घोटाला YSRCP की सियासी जमीन को और कमजोर करेगा? या फिर YSRCP इसे सियासी बदले का हथियार बनाकर वापसी करेगी? यह तो वक्त ही बताएगा.