भारत में कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव? समयसीमा से लेकर ‘पावर’ तक जानिए पूरी ABCD
भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़
VP Election Process: सबको हैरान करते हुए भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे ‘स्वास्थ्य कारणों’ को बताया है. उनका कार्यकाल तो 2027 तक था, लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि भारत का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और उसे चुनने की प्रक्रिया क्या है?
इस्तीफा और सियासी हलचल
11 अगस्त 2022 से देश के उपराष्ट्रपति पद पर रहे जगदीप धनखड़ अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका गए. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा. राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है. इस अचानक हुए इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. खास बात ये है कि उनका इस्तीफा संसद के मानसून सत्र शुरू होने के बाद आया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तो ये भी कह दिया कि वह शाम 5 बजे तक धनखड़ के साथ थे और वह पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे थे, तो फिर अचानक ये स्वास्थ्य का कारण क्यों? खैर, सच क्या है, ये तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि अब उपराष्ट्रपति पद को लेकर एक बड़ा सियासी खेल शुरू हो गया है.
आखिर कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
उपराष्ट्रपति का चुनाव कोई आम चुनाव नहीं होता, जिसमें जनता सीधे वोट डालती है. ये तो संसद के सांसद मिलकर तय करते हैं. चलिए, इसे ‘एक खेल’ की तरह समझते हैं.
कौन-कौन हैं इस खेल के खिलाड़ी?
इस चुनाव में लोकसभा के 543 सांसद और राज्यसभा के 245 सांसद वोट डालते हैं. यानी, कुल 788 सांसद इस खेल में हिस्सा लेते हैं. खास बात ये है कि ये वोटिंग गुप्त होती है, जिसका मतलब है कि कोई नहीं जान पाता कि किसने किसे वोट दिया.
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वोटिंग का तरीका क्या है?
इसे ‘सिंगल ट्रांसफरेबल वोट’ सिस्टम कहते हैं, जो थोड़ा दिलचस्प है. मान लीजिए, तीन उम्मीदवार हैं—राम, श्याम और गीता. हर सांसद अपने वोटिंग पेपर पर इन तीनों को अपनी पसंद के हिसाब से नंबर देता है. जैसे, राम को 1 (पहली पसंद), श्याम को 2 (दूसरी पसंद), गीता को 3 (तीसरी पसंद).
जीतने के लिए उम्मीदवार को एक खास ‘कोटा’, कुल वैध वोटों के आधे से ज्यादा पाना होता है. अगर पहली पसंद के वोटों से कोई कोटा पार नहीं कर पाता, तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है. फिर उसके वोटों को दूसरी पसंद वालों में बांट दिया जाता है, और ये प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कोई उम्मीदवार कोटा पार न कर ले.
कब होगा ये चुनाव?
संविधान के नियम कहते हैं कि उपराष्ट्रपति का पद खाली होने के बाद 60 दिनों के अंदर नया चुनाव हो जाना चाहिए. इसका मतलब है कि सितंबर 2025 तक हमें देश का नया उपराष्ट्रपति मिल सकता है.
कौन बन सकता है उपराष्ट्रपति?
अगर आप सोच रहे हैं कि उपराष्ट्रपति कौन बन सकता है, तो इसके लिए कुछ खास शर्तें हैं. उसे भारत का नागरिक होना चाहिए. उसकी उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए. उसे राज्यसभा का सांसद बनने की योग्यता होनी चाहिए. वह किसी सरकारी नौकरी या लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए. इसके अलावा, उम्मीदवार को 20 सांसदों का ‘समर्थन’ और 20 सांसदों का ‘अनुमोदन’ चाहिए होता है. साथ ही, 15,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी पड़ती है.
जब तक नया उपराष्ट्रपति न आए, तब तक कौन संभालेगा कुर्सी?
जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुन लिया जाता, तब तक राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह सदन की जिम्मेदारी संभालेंगे. अगर उपसभापति भी मौजूद न हों, तो सांसदों का एक पैनल वाइस चेयरमैन ये काम देखता है. यानी, संसद का काम रुकेगा नहीं, चलता रहेगा.
रेस में कौन है आगे?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत है, तो साफ है कि उनका ही उम्मीदवार जीतेगा. सियासी गलियारों में कुछ नाम तैर रहे हैं, जैसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे. लेकिन ये तो सिर्फ अटकलें हैं, असली नाम तो जल्द ही सामने आएगा.
पहले भी हुआ है ऐसा!
जगदीप धनखड़ पहले ऐसे उपराष्ट्रपति नहीं हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया हो. 1969 में वी.वी. गिरि ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था. वहीं, 2002 में कृष्णकांत का पद पर रहते हुए निधन हो गया था, जिसके बाद भैरों सिंह शेखावत चुने गए थे. इतिहास बताता है कि ऐसे मौके पहले भी आए हैं, और हमारा संविधान हर बार रास्ता दिखाता है.
उपराष्ट्रपति की ताकत क्या होती है?
उपराष्ट्रपति सिर्फ राज्यसभा का सभापति ही नहीं होता, बल्कि अगर राष्ट्रपति का पद खाली हो जाए, तो वह उनकी जिम्मेदारी भी संभालता है. जैसे, अगर राष्ट्रपति बीमार हों या विदेश दौरे पर हों, तो उपराष्ट्रपति उनकी जगह काम करता है. यानी, यह देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, जिसकी अपनी खास अहमियत है. अब भारत का चुनाव आयोग जल्द ही उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा. नामांकन, जांच, वोटिंग और फिर नए उपराष्ट्रपति की घोषणा, ये सब कुछ अगले दो महीनों में हो जाएगा.