क्या Nokia की राह पर चल रहा है Apple? एआई रेस में नजर आ रहा है पीछे
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Apple: सालों पहले Nokia के फोन का मार्केट में दबदबा था. लेकिन, जब iOS पर चलने वाले iPhone और Google के Android ने बाज़ार में दस्तक दी, तो Nokia अपने Symbian OS पर ही अड़ा रहा. दूसरी कंपनियाँ एंड्रॉइड पर स्विच कर चुकी थीं, लेकिन Nokia ने इस बदलाव को नज़रअंदाज़ किया.
नतीजा ये हुआ कि जब तक Nokia ने एंड्रॉइड को अपनाया, तब तक देर हो चुकी थी. आज, टेक्नोलॉजी की दुनिया में कुछ ऐसा ही सवाल Apple को लेकर उठ रहा है, और इसकी वजह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI).
AI की रेस में पीछे है Apple
आजकल स्मार्टफोन्स में AI का इंटीग्रेशन तेज़ी से बढ़ रहा है. Google Gemini कई एंड्रॉइड स्मार्टफोन्स में अपनी जगह बना चुका है. Samsung तो इस रेस में सबसे आगे नजर आ रहा है, उसके एंट्री लेवल या फ्लैगशिप फोन हों सभी में दमदार एआई सपोर्ट देखने को मिल रहा है. इसके साथ लोग भी तेजी से इसे अपना रहे हैं. लेकिन iPhone इस मामले में अभी भी पीछे दिख रहा है.
Apple अभी भी AI लेकर पीछे लग रहा है. उसका अपना एआई लोगों को कारगर नहीं लग रहा है. कम से कम लोगों के दिमाग में तो ब्रांड की ऐसी ही छवि है. जहां Samsung, OnePlus और दूसरे ब्रांड्स के फोन्स में Gemini का इंटीग्रेशन हो चुका है, वहीं iPhone में अभी भी एक दमदार और तेज AI की कमी खलती है.
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Apple का एआई है कमजोर
कंपनी ने एआई रेस में बने रहने के लिए Apple Intelligence को लॉन्च तो कर दिया है, लेकिन ये अधूरा-अधूरा महसूस होता है. ऐसा लगता है कि कंपनी को इस रेस में पिछड़ने का डर सता रहा था और ब्रांड ने इसे जल्दबाजी में लॉन्च कर दिया. Gemini कई कामों को Apple Intelligence से कहीं बेहतर तरीके से कर रहा है. ऐसे में एप्पल को इस रेस में बने रहने के लिए Apple Intelligence को बेहतर बनाना होगा. नहीं तो उसका हाल भी Nokia की तरह हो सकता है.