न्याय दिलाने वाले आयोग खुद लाचार…​अध्यक्ष और सदस्यों को लेकर विपक्ष का सिया​सी प्रहार!

कमलनाथ सरकार में आयोग का गठन हुआ था, विवाद हुआ और फिर मामला कोर्ट पहुंचा. तब से अध्यक्ष और सदस्यों की कुर्सी ख़ाली पड़ी हुई है.
MP women commission

एमपी राज्य महिला आयोग

MP News: मध्यप्रदेश में पीड़ितों को न्याय दिलाने वाले आयोग ख़ुद ही संकट में हैं. आयोगों में सालों से ना तो अध्यक्ष हैं और ना ही सदस्य. महिलाओं, पीड़ितों, दलितों और शोषितों को न्याय दिलाने वाले आयोग को आज न्याय की दरकार है. आयोगों में सुनवाई ना होने से लोग न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

न्याय दिलाने वाले आयोग खुद संकट में

महिलाओं के अधिकार दिलाने वाला राज्य महिला आयोग को ख़ुद न्याय की दरकार है. बीते पांच सालों से राज्य महिला आयोग में ना तो अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य. बीते पांच सालों से क़रीब 25,000 से ज़्यादा मामले पेंडिंग हैं.

कमलनाथ सरकार में आयोग का गठन हुआ था, विवाद हुआ और फिर मामला कोर्ट पहुंचा. तब से अध्यक्ष और सदस्यों की कुर्सी ख़ाली पड़ी हुई है. मानवाधिकार आयोग में भी अध्यक्ष का पद ख़ाली है. आयोग कार्यकारी अध्यक्ष के भरोसे है. राज्य पिछड़ा वर्ग में अध्यक्ष हैं तो सदस्य नहीं हैं. आयोगों में कोरम पूरा ना होने से बैच नहीं लग पा रही है.

आयोगों में अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली

मप्र राज्य महिला आयोग में अध्यक्ष और पांच सदस्य होते हैं. सभी पद खाली होने से बैच सालों से नहीं लगी है. मप्र अनुसूचित जनजाति आयोग में अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं. फिलहाल सभी पद खाली हैं. मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष और दो सदस्य हैं. तीन सदस्यों का पद खाली है जिसमें एक महिला का होना जरूरी है. मप्र मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष और दो सदस्य के पद खाली है अनुसूचित जाति आयोग में सिर्फ सचिव हैं. अध्यक्ष और सदस्यों के ना होने से पीड़ितों के मामले अटके हुए हैं.

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आयोगों के खाली होने पर गरमाई सियासत

आयोगों में अध्यक्ष और सदस्यों की जगह ख़ाली होने को लेकर भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि जल्द ही निर्णय लिया जाएगा और नियुक्तियों पर जल्द फ़ैसला होगा. वहीं कांग्रेस का कहना है कि कमलनाथ सरकार में आयोगों का गठन हुआ था. उनको बर्खास्त कर दिया, अब आयोगों में ताला लटका हुआ है. केवल बाल आयोग में ही अध्यक्ष हैं और उनको राजनैतिक विद्वेष से फुर्सत नहीं है.

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