MP News: शहडोल में सीवरेज पाइपलाइन हादसे पर बड़ी कार्रवाई, सब इंजीनियर समेत 5 के खिलाफ FIR दर्ज, दो मजदूरों की मौत हुई थी

Shahdol News: गड्ढे की खुदाई का कार्य करते समय 17 जुलाई को अचानक मिट्टी धंसने की वजह से कोटमा के निवासी दो भाई मुकेश बैगा और महिपाल बैगा की 12 फिट गहरे मिट्टी के ढेर में दबने से मौत हो गई थी. 15 घंटे से अधिक समय तक चले रेस्क्यू के बाद दोनों मजदूरों का शव निकाला गया था
Shahdol sewerage accident, police registered a case against 5 people

शहडोल सीवरेज हादसा, पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया

Shahdol News (शहडोल से कैलाश लालवानी की रिपोर्ट): मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के बहुचर्चित सीवरेज पाइपलाइन हादसे पर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. निर्माण कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर, सुपरवाइजर और सब इंजीनियर समेत पांच लोगों के खिलाफ गैर हत्या जैसे अपराध में मामला दर्ज कर लिया गया है. ये एक्शन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस जांच के बाद लिया गया है.

15 घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन

शहडोल जिले के सोहागपुर थाना क्षेत्र के कोनी में अहमदाबाद की मेसर्स पी.सी. स्नेहल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सीवरेज लाइन बिछाने का कार्य चल रहा था. गड्ढे की खुदाई का कार्य करते समय 17 जुलाई को अचानक मिट्टी धंसने की वजह से कोटमा के निवासी दो भाई मुकेश बैगा और महिपाल बैगा की 12 फिट गहरे मिट्टी के ढेर में दबने से मौत हो गई थी. 15 घंटे से अधिक समय तक चले रेस्क्यू के बाद दोनों मजदूरों का शव निकाला गया था.

सोहागपुर पुलिस थाने में दर्ज हुआ केस

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर सोहागपुर पुलिस ने घटना के लिए पांच लोगों को जिम्मेदार माना. पुलिस ने मेसर्स पी.सी. स्नेहल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर आर राजू , प्रोजेक्ट मैनेजर नितेश मित्तल, सुपरवाइजर राहुल साहू, सब इंजीनियर जेनेन्द्र सिंह यादव सहित पूजा नायक इन सभी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 बीएनएस के तहत थाना सोहागपुर में मामला दर्ज कर लिया है.

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सुरक्षा के नहीं थे इंतजाम

यह हादसा एक बार फिर इस बात को उजागर करता है कि निर्माण कार्यों में मजदूरों की सुरक्षा को कितना नजरअंदाज किया जाता है. बिना हेलमेट, जैकेट या सेफ्टी गियर के गहरे गड्ढों में मजदूरों को उतार देना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. इस पूरे प्रोजेक्ट में न तो मिट्टी धंसने से रोकने के लिए कोई तकनीकी इंतजाम थे और न ही कोई निगरानी व्यवस्था.

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